महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीख को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने अपनी बात रखी। मीडिया कर्मियों के साथ बात करते हुए राजीव कुमार ने कहा कि राजनीतिक दलों ने भी चुनाव आयोग से दिवाली जैसे त्योहारों को ध्यान में रखकर विधानसभा चुनावों की घोषणा करने को कहा है। वह इस समय आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए राज्य के दौरे पर हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि हमनें यहां पर राष्ट्रीय,क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की है। इसके अलावा पुलिस और अन्य लोगों से भी मुलाकात की। इन सभी ने हमसे चुनावों की घोषणा करने के पहले दीपावली, छठ पूजा और देव जैसे त्योहारों के समय पर भी विचार करने के लिए कहा। हम इन बातों का ख्याल रखेंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है इसलिए हमें भी उस समय से पहले चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करना होगा।
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं। विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है। इसलिए चुनावी प्रक्रिया को इस समय से पहले पूरा करना होगा। महाराष्ट्र में कुल मतदाता करीब 9.56 करोड़ हैं। इस बार पहली बार वोट देने के काबिल हुए युवा मतदाताओं की संख्या 19.48 लाख है। विधानसभा की तैयारियों का जायजा लेने के लिए मुंबई पहुंचे मुख्य चुनाव आयुक्त ने अपने दोनों साथी अधिकारियों के साथ महाराष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की।
महाराष्ट्र के पिछले विधानसभा चुनाव से इस बार परिस्थितियां काफी बदली हुई हैं। पिछली बार हुए विधानसभा चुनाव में दोनों बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों में टूट नहीं हुई थी। साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने वाली भाजपा और शिवसेना में चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर लड़ाई हो गई, जिससे दोनों के रास्ते अलग हो गए। शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर उद्धव ठाकरे राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। इसी बीच में एक हलचल तब और बढ़ी जब एनसीपी के अजीत पवार पार्टी तोड़कर भाजपा के साथ आ गए और गठबंधन सरकार बना ली, लेकिन इसकी उम्र ज्यादा नहीं रही और फड़नवीस को इस्तीफा देना पड़ा बाद में एनसीपी के सहयोग से उद्धव मुख्यमंत्री बने।
उद्धव के मुख्यमंत्री बनते ही कुछ समय तक सब ठीक रहा लेकिन बाद में शिवसेना में ही फूट पड़ गई। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायक भाजपा के साथ आ गए। उद्धव के हाथ से सरकार के साथ-साथ पार्टी भी चली गई। एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली और मुख्यमंत्री बन गए। कुछ ही महीनों बाद अजीत पवार भी एनसीपी तोड़कर इसी गठबंधन का हिस्सा हो गए और एक बार फिर से महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बन गए। आगामी लोकसभा चुनाव में अब लड़ाई महाविकास अघाड़ी और महायुति गठबंधन के बीच में है।