दीवाली पर जबलपुर के अस्‍पतालों की तैयारी … आइसीयू भरें, बर्न केस के लिए बिस्तर आरक्षित किए

दीवाली पर जबलपुर के अस्‍पतालों की तैयारी … आइसीयू भरें, बर्न केस के लिए बिस्तर आरक्षित किए

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मध्‍य प्रदेश के जबलपुर में मेडिकल और विक्टोरिया जिला अस्पताल में गहन चिकित्सा इकाई (आइसीयू) फुल है। सामान्य रुप से त्योहार से पूर्व मरीज कम हो जाते है। दोनों अस्पताल की ओपीडी में बुधवार को कमी आयी है। कुछ मरीजों ने वार्ड से डिस्चार्ज लिया है। फिर भी भर्ती मरीजों की संख्या गत वर्षों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक है। मौसमी रोग से पीड़ित कई गंभीर मरीज भर्ती हैं।

दीपावली पर पटाखें जलाते समय और अग्नि दुर्घटना के घायल अस्पताल पहुंचते हैं। इन मरीजों को तुरंत राहत देने के लिए विक्टोरिया जिला अस्पताल में बर्न केस के लिए बिस्तर आरक्षित किए गए हैं।

बर्न केस के लिए अतिरिक्त बिस्तर के विस्तार की तैयारी

अस्पताल ने फोन नंबर 07614085381 जारी कर कहा है, यदि कोई गंभीर मरीज को लेकर अस्पताल आ रहे है तो, सूचना दें। ताकि मरीज को त्वरित और बेहतर उपचार सुविधा दी जा सकें। इधर, मेडिकल अस्पताल ने सीएमओ को सतर्क रहने के निर्देश दिए है। जरुरत पड़ने पर बर्न केस के लिए अतिरिक्त बिस्तर के विस्तार की तैयारी की है।

छोटे अस्पताल खाली, मांग रहे छुट्टी

त्योहार पर घर जाने के लिए बुधवार को अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीजों ने छुट्टी मांगी। मनमोहन नगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रांझी सिविल अस्पताल सहित अन्य छोटे अस्पताल में वार्ड खाली हो गए है।

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जो मरीज ठीक होने की स्थिति में थे, उन्हें डिस्चार्ज दिया

विक्टोरिया अस्पताल में कई मरीज छुट्टी मांग रहे थे, इनमें जो मरीज ठीक होने की स्थिति में थे, उन्हें डिस्चार्ज दिया गया। वहीं, मेडिकल अस्पताल में कई वार्ड में गंभीर मरीज भर्ती है। बुधवार को मेडिकल और विक्टोरिया की ओपीडी में मरीजों की संख्या में कमी आयीं, जो कि औसत से लगभग आधी रही।

विक्टोरिया अस्पताल में 40 बिस्तर का अस्थाई बर्न वार्ड

अस्पताल के दो वार्ड को मिलाकर 40 बिस्तर का अस्थाई बर्न वार्ड बनाया गया है। नेत्र रोग विभाग का एक वार्ड भी बर्न केस के लिए आरक्षित किया गया है।

मेडिकल अस्पताल में…

गंभीर बर्न केस के लिए 12 बिस्तर है, जिसे जरुरत पड़ने पर तुरंत विस्तारित कर सकते हैं। कैजुअल्टी में बैठक कर चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को सतर्क रहने कहा गया है। सीनियर कंसलटेंट भी आकस्मिक स्थिति में उपलब्ध रहेंगे।

चिकित्सकों का परामर्श

  • पटाखे जलाने के समय बारुद और रसायन के अंश हाथ में लग जाते है। साबुन से अच्छी तरह हाथ धोकर ही कुछ खाना या दूसरी सामग्री को छुएं। यदि रसायन पेट तक चले जाएं तो समस्या होती है।
  • पटाखे जलाने पर निकलने वाले धुएं में कई हानिकारक रसायन युक्त होते है। इससे आंखों में जलन, दर्द, पानी अाना जैसी समस्या हो सकती है। ऐसे में पहले तो आंखों को अच्छी तरह धोएं। चिकित्सक को दिखाएं।
  • पटाखे जलाते समय चिंगारी आंख में जाने पर तेज जलन होती है। उस स्थिति में आंख को हाथ से मसलना नहीं चाहिए। साफ पानी से धोएं। सामान्य एंटीबायोटिक आई ड्राप डालें। आराम ना लगे तो अस्पताल जाएं।
  • पटाखा जलाने में लापरवाही पर त्वचा जल जाती है। जले हुए भाग पर ठंडा पानी डालें। ऐसे मामले में घरुलू उपचार से बचें। बर्न केस में सामान्य व्यक्ति को गहरे घाव का पता नहीं चलता है। देर होने से समस्या गंभीर बन जाती है।
  • अग्निदुर्घटना में आग की लपटों से बचाने के लिए कंबल का उपयोग कर सकते है, लेकिन जले हुए घाव के स्थान पर कपड़ा, रुई जैसी चीजों का प्रयोग ना करें। इससे संक्रमण बढ़ने की आशंका रहती है।

 

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