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खुरई के निवासियों द्वारा तीन सितंबर को बंद का आह्वान किया गया था। सागर जिले की दो तहसीलों के बीच की होड़ के बीच जिले के भाजपा नेताओं में खींचतान होने का संदेश जाने लगा तो संगठन सक्रिय हुआ और सोमवार शाम खुरई बंद का आह्वान वापस हो गया।
वहीं, बीना में भी जिले बनाए जाने की मांग को लेकर डेढ़ माह से लगातार क्रमिक धरना जारी है। सोमवार को जिला बनाओ संघर्ष समिति ने शहर में रैली निकालकर ज्ञापन दिया और बीना को जिला बनाने की मांग की।
सागर में बदलते घटनाक्रमों के बीच सोमवार को भोपाल में मुख्यमंत्री व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने बीना प्रबंध समिति की बैठक ली, जिसमें केवल उपचुनाव की तैयारियों पर ही चर्चा की गई। जिले के विषय को दरकिनार कर दिया गया।
सत्ता और संगठन की ओर से ऊपरी तौर पर भले ही कुछ नहीं कहा जा रहा, लेकिन बीना और खुरई के जिला बनने के मामले में सागर में जितनी उथल-पुथल मची है, वह आसानी से शांत हो जाएगी ऐसा लग नहीं रहा है।
4 सितंबर को हो सकता है बड़ा एलान
- बीना को जिला बनाने के लिए वर्ष 1967 से शुरू हुई मुहिम पिछले कुछ दिनों से बेहद तेज हो चुकी है।
- सागर में चर्चा है कि 4 सितंबर को बीना आ रहे मुख्यमंत्री बीना को जिला बनाने की घोषणा कर सकते हैं।
- खुरई को भी जिला बनाने की मांग दशकों पुरानी है। इसको लेकर 44 दिनों से धरना चल रहा है।
- खुरई से पूर्व मंत्री तथा कद्दावर नेता भूपेंद्र सिंह विधायक हैं। वह बीना को जिला बनाने के खिलाफ हैं।
- आम चुनाव के दौरान कांग्रेस से विधायक बनीं निर्मला सप्रे ने भाजपा का दामन थामा, बीना में भी मांग ने जोर पकड़ लिया।
जिले को लेकर खुरई और बीना के अपने-अपने दावे
खुरई का दावा: यह प्रदेश की सबसे पुरानी तहसीलों में से एक है। पीएचई, लोक निर्माण विभाग, वन विभाग जैसे अनुविभागीय कार्यालय, पालीटेक्निक कालेज, 100 बिस्तर का अस्पताल, कृषि महाविद्यालय यहां हैं।
बीना का दावा: प्रदेश की एक मात्र रिफाइनरी का यहां है और अब यहां 50 हजार करोड़ का निवेश भी होने जा रहा है। यहां जेपी कंपनी का थर्मल पावर प्लांट, नेशनल हाईपावर टेस्टिंग लेबोरेटरी, पावर ग्रिड, रेलवे जंक्शन आदि हैं।
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