बच्चे को मोबाइल देकर खुद का सेक्स वीडियो बनवाने के आरोप, क्या बोला हाईकोर्ट

बच्चे को मोबाइल देकर खुद का सेक्स वीडियो बनवाने के आरोप, क्या बोला हाईकोर्ट


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बच्चे के हाथ में फोन थमाकर खुद की यौन गतिविधियां कराने का आरोप झेल रहे एक शख्स को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत मिली है। उच्च न्यायालय ने POCSO यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज केस में अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी है। कथित तौर पर आरोपी ने पीड़ित बच्चे की मां के साथ यौन संबंध बनाने का वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए कहा था।

इस मामले की सुनवाई जस्टिस मनीश पिताले कर रहे थे। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने कहा, ‘यह बहुत ही हैरान करने वाला है कि ऐसे आरोप बच्चे की मां पर भी लगे थे। प्रथम दृष्टया… यहां ऐसा कुछ भी नहीं है जो संकेत देता हो कि बच्चे की मां यानी सह आरोपी नंबर 1 को कस्टडी में लिया गया या इसके प्रयास भी किए गए हैं। ऐसा लगता है कि आवेदक ने आरोपी नंबर 1 के साथ मिलकर गतिविधियां की हैं, जिसकी वजह से मौजूदा FIR दर्ज हुई।’

कोर्ट ने आगे कहा, ‘जब तक आवेदक पीड़ित बच्चे से संपर्क नहीं साधता है और जांच में सहयोग करता है, तब तक कोर्ट उसे अंतरिम सुरक्षा दे रही है।’ कोर्ट ने यह भी कहा कि जमानत की शर्तों के उल्लंघन पर अंतरिम जमानत रद्द हो जाएगी। इस केस में आगे की सुनवाई 19 जुलाई को होगी।

क्या था मामला

आवेदक के खिलाफ नवी मुंबई में FIR दर्ज हुई थी। आरोप थे कि आवेदक ने पीड़ित बच्चे की मां के साथ मिलकर बच्चे को उनकी सेक्स गतिविधियां रिकॉर्ड करने के लिए मोबाइल दिया था। इसके बाद उसने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था।

कोर्ट ने पाया कि आवेदक और बच्चे की मां शादीशुदा हैं और प्रथम दृष्टया यह मामला विवाहेत्तर संबंध का लग रहा है। खास बात है कि सत्र न्यायालय ने भी बच्चे की मां की तरफ से दर्ज कराई गई FIR पर नियमित जमानत दे दी थी, जिसमें बलात्कार समेत कई आरोप लगाए गए थे। फिलहाल, कोर्ट ने पाया कि आवेदक ने पिछली सभी जमानत शर्तों का पालन किया है और उसका मोबाइल फोन भी जब्त हो गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने पाया कि मौजूदा FIR में ऐसे कोई भी संकेत नहीं है, जिससे पता चले कि बच्चे की मां को हिरासत में लिया गया है या इसके प्रयास किए गए हैं। अदालत ने तथ्यों और इस मामले में पीड़ित की मां की भूमिका के मद्देनजर आवेदक को अगली सुनवाई तक के लिए अंतरिम सुरक्षा दे दी है। इस मामले में पीड़िता की मां के भी आरोपी होने के चलते अदालत ने हाईकोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी को पीड़ित बच्चे के लिए वकील नियुक्त करने के आदेश दिए हैं।