राकेश टिकैत बोले- नैचुरल फार्मिंग वाला बजट एनजीओ खा लेंगे, बस एक अच्छाई देखी

राकेश टिकैत बोले- नैचुरल फार्मिंग वाला बजट एनजीओ खा लेंगे, बस एक अच्छाई देखी

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मोदी सरकार 3.0 के पहले आम बजट में खेती-किसानी के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये के आवंटन का ऐलान किया है। इसके साथ ही नैचुरल फार्मिंग को मजबूत करने का ऐलान हुआ है। इन वादों पर अब राकेश टिकैत का बयान सामने आया है। किसान नेता ने कहा कि यह बजट ग्रामीण पृष्ठभूमि के लिहाज से ठीक नहीं है। ऑर्गेनिक और नैचुरल फार्मिंग की बात है तो इसे भी कोई एनजीओ ही या कंपनी लेगी। उनका कहना होगा कि हम किसानों को खेती करना सिखाएंगे। यह फैसला उन पर चला जाएगा। अहम यह है कि कोई भी चीज किसानों को किस तरह से मिलती है। किसानों को राहत देनी है तो उनके लिए पानी फ्री करिए। बिजली मुफ्त दें और सस्ती खाद दी जाए।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा खेती के उपकरणों को भी सस्ता करना चाहिए। किसानों को सीधे लाभ देना है तो उसे फसल की कीमत देनी होगी। इसके लिए प्रावधान करना होगा। आप सोलर, बिजली पर आप राहत दें तो फायदा होगा। यदि कोई भूमिहीन किसान है तो वह भी खेती में आता है, उसके लिए क्या किया है बजट में। दूध के रेट में कमी आई है, आखिर उसके लिए सरकार ने क्या किया है। राकेश टिकैत ने कहा कि आप हमारी पेमेंट को डिजिटल करिए। आप सारी बात करते हैं, लेकिन भाव देने की बात करते। आखिर एमएसपी पर कोई बात क्यों नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की एक बात सही है कि मौसम के बदलाव की मार से बचने वाली फसलें लाई जाएंगी। 

टिकैत ने कहा कि यह देखना होगा कि वे फसलें नुकसानदायक न हो और जीएम फसलें ठीक नहीं रहेंगी। हमें यह ध्यान देना होगा। राकेश टिकैत के अलावा हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाले शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों ने भी बजट की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इस बार भी बजट में एमएसपी गारंटी कानून और कर्ज माफी के नाम पर कुछ नहीं मिला। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता सरवन सिंह पंधेर ने इसे निराशावादी बजट बताते हुए कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार सातवीं बार बजट पेश करके एक रिकार्ड बनाया है। वहीं, एक और रिकार्ड भी बना है वो यह है कि मोदी सरकार ने सातवीं बार भी किसानों की उपेक्षा की।

बजट का 3 प्रतिशत भी नहीं मिला किसानों को

अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो शेयर करते हुए पंधेर ने कहा कि किसानों और मजदूरों की आबादी लगभग 70 प्रतिशत है। 48 लाख करोड़ रुपए का बजट है इसमें से 1.52 लाख करोड़ किसानों को दिया गया है, जो बजट का 3 प्रतिशत भी नहीं है।उन्होंने कहा कि इस बजट में ना तो एमएसपी गारंटी कानून के लिए हिस्सा है, ना किसानों की कर्ज माफी का जिक्र है, मजदूरों को रोजगार देने के लिए कुछ नहीं है। खेती को पूरी तरह से इग्नोर किया गया है। सिर्फ 1.52 लाख करोड़ के बजट में कहा जा रहा है कि कुदरती खेती को भी प्रोत्साहन देंगे, वातावरण के अनुसार बीजों की खोज होगी और ग्रामीण विकास भी होगा जो कि असंभव है।

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