लेटरल एंट्री पर सरकार के यूटर्न से IAS अधिकारी हुईं नाराज, गिनाए इसके लाभ

लेटरल एंट्री पर सरकार के यूटर्न से IAS अधिकारी हुईं नाराज, गिनाए इसके लाभ

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केंद्र सरकार ने यूपीएससी में लेटरल एंट्री पर अपने फैसले को वापस ले लिया है। इससे विपक्ष का आक्रोश जरूर कम हुआ है, लेकिन एक महिला आईएएस अधिकारी ने अपनी नाराजगी प्रकट की है। तेलंगाना कैडर की आईएएस अधिकारी स्मिता सभरवाल ने इस मामले पर अपने विचार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए हैं। उन्होंने लेटरल एंट्री को वापस लेने के सरकार के कदम को गलत बताया है।

आपको बता दें कि सभरवाल वर्तमान में तेलंगाना वित्त आयोग की सदस्य-सचिव के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि नौकरशाहों को उनकी सेवा के दसवें वर्ष के बाद विशिष्ट डोमेन में विशेषज्ञता हासिल करने का विकल्प दिया जाना चाहिए। उनका तर्क है कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि अधिकारी स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे या शहरी विकास जैसे क्षेत्रों में जटिल मुद्दों को संभालने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होंगे।

सभरवाल ने कहा, “समय-समय पर मूल्यांकन आवश्यक है। 15 साल के बाद खराब प्रदर्शन करने वालों को रिटायर कर दिया जाना चाहिए और उनकी जगह किसी और को रखा जाना चाहिए। नौकरशाहों को अपने डोमेन चुनने और उन क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए सर्विस के दौरान प्रशिक्षण प्राप्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्हें इससे बाहर किसी भी क्षेत्र की जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए।”

आपको बता दें कि सिविल सेवाओं के बाहर से अनुभवी पेशेवरों को लाने के उद्देश्य से शुरू की गई लेटरल एंट्री की अधिसूचना को रद्द करने के सरकार के फैसले को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। विपक्षी दलों ने तर्क दिया कि इस तरह के कदम से पक्षपात हो सकता है और हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए संवैधानिक आरक्षण प्रावधानों का उल्लंघन हो सकता है। विवाद तब और बढ़ गया जब विपक्ष ने सरकार पर अपने समर्थकों की भर्ती करके स्थापित आरक्षण मानदंडों को दरकिनार करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।

विशेष प्रशिक्षण और कठोर मूल्यांकन के लिए सभरवाल का प्रस्ताव विवाद के इस माहौल का सीधा जवाब है।

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