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KCR wants alliance with BJP: हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) को करारी हार का सामना करना पड़ा है, जबकि केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उम्दा प्रदर्शन किया है। राज्य की कुल 17 लोकसभा सीटों में से 8 पर बीजेपी की जीत हुई है, जबकि 8 पर राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस और एक पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM की जीत हुई है। 5 साल पहले यानी 2019 में KCR की पार्टी ने 9 और बीजेपी ने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी।
साफ है कि KCR का जहां सूपड़ा साफ हो चुका है, वहीं बीजेपी का प्रदर्शन दोगुना हो चुका है। यानी राज्य में भाजपा के अपने विस्तार की अपार संभावनाएं दिख रही हैं। बीजेपी कर्नाटक की ही तरह इस दक्षिणी राज्य में अपने बुते सरकार बनाने का ख्वाव देखने लगी है। जाहिर है कि इसके लिए बीजेपी को अभी मीलों का सफर तय करना है। इस बीच सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज है कि पहले विधान सभा चुनावों और अब लोकसभा चुनावों में करारी हार का सामना करने वाले केसीआर अब अपने सियासी दुश्मन बीजेपी के साथ गठजोड़ करने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं।
क्या BRS का होगा विलय?
कहा जा रहा है कि इन्हीं संभावनाओं को मूर्त रूप देने के लिए के पूर्व सीएम चंद्रशेखर राव के बेटे और राज्य के पूर्व मंत्री के टी रामाराव (KTR) पिछले दिनों हैदराबाद से दिल्ली तक की दौड़ लगा चुके हैं और भाजपा के कुछ नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। दरअसल, बीजेपी की दक्षिणी में विजय की चाह और केसीआर की सत्ता में वापसी की चाह दोनों दलों को बातचीत के लिए नजदीक आने पर मजबूर कर रही है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी के कुछ नेता इस सियासी संकट का लाभ उठाना चाह रहे हैं और संकटग्रस्त क्षेत्रीय पार्टी (BRS) पर विलय का दबाव डालने की बात भी कर रहे हैं।
केसीआर की क्या मजबूरी?
हालांकि, बीजेपी का ही एक धड़ा बीआरएस से गठूबंधन की संभावनाओं का विरोध कर रहा है और कह रहा है कि यह पार्टी के लिए गलत कदम हो सकता है। उधर, हालिया चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद केसीआर जहां बीमार पड़े हैं और जनसंपर्क से कटे हुए हैं, वहीं बीआरएस के नेता एक-एक कर पार्टी छोड़ते जा रहे हैं। इसके अलावा बीआरएस को अपने नेताओं पर मुकदमे का भी डर सता रहा है क्योंकि राज्य की कांग्रेस सरकार पूर्ववर्ती सरकार के नेताओं पर शिंकजा कस रही है।
ऐसे में एक तरफ राज्य सरकार की एजेंसियों की कार्रवाई का डर है तो दूसरी तरफ केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर केसीआर की विधायक बेटी के कविता आई हुई हैं। वह दिल्ली के कथित शराब घोटाले में पिछले पांच महीने से जेल में बंद हैं और ईडी के निशाने पर हैं। इन परिस्थितियों में माना जा रहा है कि के चंद्रशेखर राव पहले परिवार और फिर पार्टी को बचाने के लिए किसी के साथ भी गठबंधन करने को राजी हो सकते हैं। कांग्रेस चूंकि परंपरागत विरोधी रही है, इसलिए केसीआर के पास बीजेपी से गठजोड़ का विकल्प ज्यादा बेहतर हो सकता है और इसका त्वरित फायदा उन्हें बेटी को ईडी की कार्रवाई से राहत के रूप में मिल सकता है।