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शेयर बाजार को रेग्युलेट करने वाली संस्था सेबी के भीतर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सेबी चेयरपर्स माधबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग को लेकर कई कर्मचारी विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को कुछ असंतुष्ट कर्मचारी सेबी के हेडक्वार्टर के आसपास एकत्र हुए और प्रदर्शन के लिए “बाहरी ताकतों” को दोषी ठहराने वाले बुधवार के बयान को वापस लेने की मांग करते हुए मौन विरोध प्रदर्शन किया।
सेबी ने दी थी प्रतिक्रिया
बता दें कि बाजार नियामक सेबी ने कामकाज की गैर-पेशेवर और अभद्र संस्कृति होने के दावों को बुधवार को ‘गलत’ ठहराते हुए कहा था कि उसके कर्मचारियों के आवास किराया भत्ते (एचआरए) से जुड़े मुद्दों को बाहरी तत्व गलत दिशा रहे हैं। सेबी का यह बयान उन खबरों के बीच आया है जिनके मुताबिक नियामकीय संस्था के कर्मचारियों ने सरकार को पत्र लिखकर जहरीले कार्य संस्कृति पर चिंता जताई है।
सेबी को है ये डर
इसके साथ ही नियामक ने संदेह जताया कि उसके जूनियर अधिकारियों को कुछ बाहरी पक्षों से संदेश मिल रहे हैं, जो उन्हें मीडिया, मंत्रालय या बोर्ड में जाने के लिए उकसा रहे हैं। उसका मानना है कि बाहरी लोग संभवतः अपने एजेंडा के लिए ऐसा कर रहे हैं।
बाजार नियामक ने कहा कि यह एक गुमनाम ईमेल के रूप में भेजा गया था। अधिकारियों और कर्मचारी संघों ने खुद इसकी निंदा करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ईमेल के जरिये इसकी जानकारी दी है।
माधबी बुच पर लग रहे आरोप
सेबी कर्मचारियों का यह विवाद ऐसे समय में आया है जब आईआईएम अहमदाबाद की पूर्व छात्रा माधबी पुरी बुच भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हुई हैं। बता दें कि अडानी से जुड़े मामले को लेकर अमेरिका के शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख पर कई गंभीर आरोप लगाए। वहीं, जी ग्रुप के सुभाष चंद्रा ने उन्हें भ्रष्ट करार दिया। इसके अलावा कांग्रेस ने भी सेबी प्रमुख को घेरा है।
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