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दीपावली के अवसर पर इंदौरियों ने मिठाई शुद्ध है या नहीं, जाने बगैर हजारों किलो खा ली। त्योहारी सीजन में खाद्य विभाग ने दर्जनों सैंपल लिए, जिनकी रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस इंदौर का खाना विदेश में भी मशहूर है, यहां कोई खाने की गुणवत्ता जांचने के लिए कोई लैब नहीं है।
सरकारी व्यवस्थाएं किस ढुलमुल रवैये और किस लेटलतीफी के साथ चलती हैं इसका जीता जागता उदाहरण है इंदौर के तलावली चांदा क्षेत्र में 20 करोड़ रुपये की लागत से तैयार फूड टेस्टिंग लैब। महीनों पहले यह भवन तैयार हो गया था, मशीनें भी पहुंच गईं लेकिन काम शुरू नहीं हुआ।
आप यह जानकर चौंक सकते हैं कि जिस इंदौर को देश ही नहीं विदेश तक खानपान के लिए पहचाना जाता है उसके पास खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता जांचने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। यही वजह है कि यहां से सैंपल लेकर जांच के लिए भोपाल भेजना पड़ते हैं। जब तक वहां से रिपोर्ट आती है तब तक खाद्य वस्तु लोगों के पेट में समा चुकी होती है।
पांच वर्ष पहले रखी थी नींव, अब भी है शुरू होने का इंतजार
देवास नाका के पास तलावली चांदा में शुरू की जाने वाली फूड एंड ड्रग टेस्टिंग लैब की नींव वर्ष 2019 में रखी गई थी। मप्र हाउसिंग बोर्ड ने अगस्त 2020 में लैब भवन का निर्माण शुरू कर दिया था। यह काम वर्ष 2022 तक पूरा किया जाना था, लेकिन नहीं हो सका।
कभी कोरोना की वजह से तो कभी प्रशासनिक सुस्ती के चलते यह आगे बढ़ता रहा। हाल ही में काम पूरा हुआ तो मशीनों के नाम पर जांच अटक गई। लैब पर अब तक 20 करोड़ रुपये की लागत आ चुकी है।
भवन तैयार होने के बावजूद प्रदेश की दूसरी आधुनिक फूड एंड ड्रग लैब में मशीनें स्थापित करने के बाद भी जांच शुरू नहीं हो सकी। वर्तमान में भी स्थिति यह है कि अधिकारी भले ही दावा कर रहे हैं कि लैब जल्द चालू हो जाएगी, लेकिन वास्तविकता यह है कि वर्ष 2024 में इस लैब में खाद्य वस्तुओं की जांच की संभावना नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सैंपलों की जांच हो सकेगी
वर्तमान में खाद्य वस्तुओं के सैंपल जांच के लिए भोपाल और अन्य शहरों में भेजना पड़ते हैं। इंदौर में लैब शुरू होने के बाद यहीं जांच हो सकेगी। इसके साथ ही इंदौर से लगे 15 जिलों के खाद्य वस्तुओं के सैंपल भी जांचे जा सकेंगे। इंदौर में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार फूड और ड्रग सैंपलों की जांच की जाना है। यही वजह है कि सभी मशीनें भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मानकों के अनुरूप लगाई गई हैं।
एक सप्ताह में मिलने लगेगी रिपोर्ट
वर्तमान में भोपाल से रिपोर्ट आने में कई सप्ताह लग जाते हैं। खाद्य वस्तुओं की जांच की रिपोर्ट आते से पहले ही मिलावटी और दूषित खाद्य वस्तु ग्राहकों के पेट में पच चुकी होती है। इंदौर में लैब शुरू होने के बाद खाद्य वस्तुओं की जांच रिपोर्ट एक सप्ताह में मिलने लगेगी। इससे विभाग को मिलावटी खाद्य सामग्री बेचने वालों पर कार्रवाई में आसानी होगी।
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी मनीष स्वामी से सीधी बात
प्रश्न – मिठाई के सैंपल की क्या स्थिति है, दीपावली के पहले कितने सैंपल लिए गए?
हमने एक अक्टूबर से सैंपलिंग की मुहिम शुरू की थी। इस दौरान 350 से ज्यादा सैंपल लिए गए।
प्रश्न – वर्तमान में भोपाल से कितने सैंपलों की रिपोर्ट आना बाकी है?
करीब 450 सैंपलों की जांच भोपाल में अटकी है। इनके आने के बाद ही पता चलेगा कि जिन वस्तुओं के सैंपल लिए गए थे वे शुद्ध थीं या मिलावटी।
प्रश्न – इंदौर में लैब कब तक शुरू हो सकती है?
मामला भोपाल में अटका है। इसे ट्रायल बेस पर शुरू किया जा सकता है। फिलहाल बता पाना मुश्किल है कि लैब कब तक शुरू हो सकेगी।
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