कम वेतन वाले अस्थाई विदेशी कर्मचारियों की होगी छंटनी, ट्रूडो सरकार का फैसला

कम वेतन वाले अस्थाई विदेशी कर्मचारियों की होगी छंटनी, ट्रूडो सरकार का फैसला

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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को घोषणा की है कि उनकी सरकार कम वेतन पर नौकरी करने वाले अस्थायी विदेशी कर्मचारियों की संख्या को कम करेगी। पीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट करके लिखा कि हम कनाडा में कम वेतन वाले अस्थायी कर्मचारियों की संख्या को कम करने के लिए प्रयासरत हैं। मार्केट अब बदल गया है अब हमारे मार्केट में कनाडाई कर्मचारियों और युवाओं को आगे बढ़ाने का समय आ गया है। दरअसल, कनाडा सरकार ने कोविड -19 के बाद जब देश में श्रमिकों की भारी कमी हो गई थी तो सरकार ने  नियमों में ढ़िलाई देकर विदेशी श्रमिकों के लिए आसान किया था, जिसके बाद से ही कनाडा में विदेशी श्रमिकों की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि देखने को मिली थी। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अप्रवासी युवाओं के बीच में बेरोजगारी बढ़ेगी।

सीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक,जिस क्षेत्र में उच्च बेरोजगारी दर है या जहां पर छह प्रतिशत से अधिक है वहां पर कोई भी रोजगारदाता किसी विदेशी अस्थाई कर्मचारी को काम पर नहीं रखेगा। लेकिन इसमें मानवीय सहायता के तौर पर कहा गया है कि ऐसा न हो की किसी व्यक्ति की खाद्य सुरक्षा को ही खतरा हो तो ऐसी जगहों पर खाद्य सुरक्षा को अपवाद में रखा गया है। इन कामों में कृषि और खाद्य और मछली पालन के साथ-साथ भवन निर्माण जैसे कामों को रखा गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार अब किसी भी रोजगार दाता को अस्थाई विदेशी कर्मचारियों को अपने कार्यबल से 10 प्रतिशत से ज्यादा रखने की अनुमति नहीं होगी इसके साथ ही सरकार अस्थायी कर्मचारियों के दो साल के अनुबंध को भी घटाकर एक करने के बारे में सोच रही है।

इंडिया टुडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा के एक सरकारी मीडिया के अनुसार,सरकार की तरफ मंत्री रेंडी बोइसोनाल्ट ने कहा कि अस्थायी विदेशी कर्मचारी कार्यक्रम को बाजार में श्रमिकों की कमी को दूर करने के लिए अस्तित्व में लाया गया था, यह तब के लिए था जबकि हम योग्य कनाडाई लोगों को उन भूमिकाओं में भरने के लिए सक्षम नहीं थे। अभी इस समय जबकि हम जानते हैं कि रिक्त पदों को भरने के लिए अधिक कनाडाई लोग योग्य है तो हम यह बदलाव कर रहे हैं। यह बदलाव कनाड़ाई श्रमिकों को प्राथमिकता देगा और यह सुनिश्चित करेगा कि कनाडाई लोग भरोसा करें कि उनकी सरकार उनका हक किसी और को नहीं दे रही है।

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