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सुप्रीम कोर्ट आज राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा-स्नातक (NEET-UG) 2024 में कथित पेपर लीक और अनियमितताओं से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करने वाला है। इससे एक दिन पहले केंद्र सरकार ने कोर्ट में एक नया हलफनामा दिया, जिसमें दोबारा परीक्षा की मांग का कड़ा विरोध किया है। सरकार ने यह भी दावा किया कि IIT-मद्रास की रिपोर्ट कुछ चुनिंदा परीक्षा केंद्रों पर उम्मीदवारों के द्वारा लगाए गए कदाचार के आरोपों का खंडन करती है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले से संबंधित 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
NEET-UG 2024 मामले में पिछली सुनवाई में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कई याचिकाओं पर सुनवाई की और मामले को 11 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित NEET-UG परीक्षा के जरिए देश भर में सरकारी और निजी संस्थानों में MBBS, BDS, आयुष और अन्य संबंधित कोर्स में दाखिला मिलता है। 5 मई को आयोजित नीट-यूजी 2024 परीक्षा पेपर लीक और कुछ छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए जाने को लेकर विवादों में रही थी।
कोई संदेह नहीं कि पवित्रता से हुआ समझौता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने स्नातक स्तर की मेडिकल समेत कुछ अन्य पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए पांच मई को आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) 2024 के दौरान कथित अनियमितताओं को एक ‘स्वीकृत तथ्य’ और ‘परीक्षा की पवित्रता से समझौता’ मानते हुए सोमवार को कहा कि इसकी (प्रश्न पत्र सार्वजनिक होने) की व्यापकता निर्धारित होने के बाद तय किया जा सकता है कि संबंधित परीक्षा दोबारा कराने की आवश्यकता है या नहीं।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें विस्तारपूर्वक सुनने के बाद कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि इस परीक्षा की पवित्रता से समझौता हुआ। भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए हर पहलू पर विचार- विमर्श के बाद ही कोई फैसला किया जाना चाहिए।
पीठ ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) से कहा कि वे नीट यूजी परीक्षा के प्रश्नपत्र सार्वजनिक (पेपर लीक) होने की व्यापकता के बारे में 10 जुलाई तक जानकारी दें। इसके अलावा प्रश्नपत्र सार्वजनिक तथा 5 मई 2024 को परीक्षा आयोजित होने के बीच के समय से भी निर्धारित तिथि तक अवगत कराएं।
शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर नीट परीक्षा के धोखाधड़ी (पेपर लीक) के लाभार्थियों और बेदाग परीक्षार्थियों के बीच अंतर करना संभव नहीं तो दोबारा परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए।
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