केंद्र सरकार में बढ़ेगा मप्र का प्रतिनिधित्व

केंद्र सरकार में बढ़ेगा मप्र का प्रतिनिधित्व

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  • चुनावी साल में मप्र को महत्व देने की तैयारी

भोपाल। मप्र में चुनावी तैयारी के बीच केन्द्र सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल की कवायद भी चल रही है। इस कवायद का फायदा मध्यप्रदेश को मिलना तय माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि इस बार भी प्रदेश के कम से कम दो नए चेहरों को शपथ दिलाई जाएगी। इसकी वजह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट में मध्यप्रदेश का जलवा बढऩा तय है। मोदी कैबिनेट का विस्तार विधानसभा चुनाव के पहले होना तय है, जिससे की उसका फायदा मिल सके। इस विस्तार के बहाने विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में जातीय समीकरण साधने के प्रयास किए जाएंगे। गौरतलब है कि फिलहाल केन्द्रीय मंत्रिमंडल में प्रदेश से पांच मंत्री हैं। जल्द संभावित माने जा रहे विस्तार में यह संख्या सात हो सकती है। नए विस्तार में जिन सांसदों को मंत्री बनाए जाने की चर्चा है, उनमें जबलपुर सांसद राकेश सिंह, सतना सांसद गणेश सिंह, राजगढ़ सांसद रोडमल नागर और राज्यसभा सांसद और आदिवासी चेहरा सुमेर सिंह सोलंकी का नाम शामिल है। गौरतलब है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द होने जा रहा है। इसमें जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने के हिसाब से प्रदेश को इस बार ज्यादा प्रतिनिधित्व मिलने के आसार हैं।

प्रदेश से अभी नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेन्द्र खटीक, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रहलाद पटेल केन्द्र में मंत्री हैं। इसके इतर केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और एल मुरूगन भी प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं पर इनका सीधा वास्ता प्रदेश से नहीं है। हालांकि प्रदेश से सांसद होने की वजह से उन्हें भी प्रदेश के कोटे से माना जा सकता है। इनमें वीरेन्द्र खटीक अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं तो कुलस्ते आदिवासी चेहरा हैं। वहीं प्रहलाद पटेल पिछड़ा वर्ग से है। सूत्रों की माने तो ओबीसी कोटे से इस -बार सतना सांसद गणेश सिंह पटेल को मौका दिया जा सकता है। वहीं आदिवासी वर्ग को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने के लिए सुमेर सिंह सोलंकी को मौका दिया जा सकता है। बड़वानी से वास्ता रखने वाले सुमेर सिंह को आरएसएस की सिफारिश पर पहली बार राज्यसभा में भेजा गया है। उन्हें लंबे समय से बड़ी जिम्मेदारी देने को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। वे केन्द्रीय नेताओं की गुडबुक में भी बताए जाते हैं। वहीं राकेश सिंह को उनकी वरिष्ठता और संसदीय दल के सचेतक के नाते मौका दिया जा सकता है। सिंह प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, हालांकि उनके प्रदेशाध्यक्ष रहते उन पर सक्रियता न दिखा पाने और संगठन को मजबूती प्रदान करने में असफल रहने के आरोप लगते रहे हैं। यही नहीं वे अब तक प्रदेश में भी अपना जनाधार खड़ा नहीं कर पाए हैं। इसके बाद भी उन्हें प्रधानमंत्री के पसंद वाले सांसदों में माना जाता है। इसी तरह से राजगढ़ सांसद रोडमल नागर भी प्रधानमंत्री की पसंद बताए जाते हैं।

दिल्ली में प्रदेश को लेकर हुई बैठक
सूत्रों की माने तो बीते रोज दल्ली में भाजपा संगठन के बड़े नेताओं की प्रदेश के राजनीतिक हालातों को लेकर बड़ी बैठक हुई। बैठक में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष, क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल समेत अन्य नेता शामिल हुए। माना जा रहा है कि इसमें प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर विचार विमर्श हुआ। माना जा रहा है कि बैठक में कुछ नेताओं की नई भूमिका तय करने को लेकर भी चर्चा की गई।

विंध्य व महाकौशल के साधे जाएंगे समीकरण
केन्द्रीय मंत्रिमंडल में गणेश सिंह और राकेश सिंह को शामिल करने की एक बड़ी वजह क्षेत्रीय समीकरण को साधना भी बताया जा रहा है। दरअसल प्रदेश मंत्रिमंडल में फिलहाल इन दोनों ही अंचलो का प्रतिनिधित्व बेहद कम है , जिसकी वजह से इन अंचलों से मंत्रिमंडल में विधायकों को जगह देने की मांग उठती रहती है। यह स्थिति प्रदेश में ऐसे समय बनी हुई है जबकि ,इन दोनों ही अंचलों से भाजपा के सर्वाधिक विधायक बीते विधानसभा चुनाव में जीते हैं। इसकी वजह से विधानसभा चुनाव के लिए क्षेत्रीय समीकरणों के साथ ही जातिगत समीकरण भी साधे जा सकते हैं। यही नहीं इन दोनों ही नेताओं की गिनती प्रदेश के वरिष्ठतम सांसदों में भी होती है। उधर अभी पांच में से दो केन्द्रीय मंत्री ऐसे हैं जो जातिगत समीकरण व वरिष्ठता में तो फिट बैठते हैं , लेकिन जनाधार के मामले में वे अब भी पीछे बने हुए हैं। इनमें एक नाम फग्गन सिंह कुलस्ते का और दूसरा नाम है वीरेन्द्र खटीक का।

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