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रायपुर.
दलित और आदिवासी संगठनों ने बुधवार को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। यह बंद हाशिए पर पड़े समुदायों को मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर बुलाया गया है। ‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स’ (एनएसीडीएओआर) ने मांगों की एक सूची भी जारी की है। इसमें सबसे अहम अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग हैं।
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में सुबह से ही आदिवासी समाज भारत बंद को सफल बनाने के सड़कों पर दिखाई दिए। इस बंद के दौरान किसी भी प्रकार से कोई अप्रिय घटना घटित ना हो इसके लिए पुलिस विभाग की ओर से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई। वहीं, आदिवासी समाज के लोग सुबह से ही हाथ में बोर्ड लेकर सड़कों पर दिखाई दिए। राष्ट्रीय राजमार्ग में सुबह से ही आदिवासी समाज के लोग दिखाई दिए, जहां रायपुर से आने वाली वाहनों को आसना के पास ही रोक दिया गया। इसके अलावा कुछ वाहनों को नया पुल से पहले रोक दिया गया। वाहनों के इस तरह से रोके जाने से सड़कों पर जाम की स्थिति बन गई। बस्तर बंद से एक ओर जहां लोगों को परेशानी हुई, वही इस बंद के दौरान ऑटो चालक के द्वारा सवारियों से मनमाना किराया भी लिया गया। मेडिकल कालेज हॉस्पिटल तक जाने का किराया भी 40 रुपये से अधिक का लिया गया।
दुकानें बंद
इधर, बस्तर के संभागीय मुख्यालय जगदलपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर समेत अन्य जिलों में भी बंद का असर है। सुबह से ही सारी दुकानें बंद हैं। हालांकि, मेडिकल जैसी इमरजेंसी सेवाएं शुरू है। यहां भी समाज के सदस्य सड़क पर उतर आए हैं। बस्तर चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आदिवासी समाज के भारत बंद का समर्थन किया है।
फोर्स तैनात
आदिवासी समाज के बंद को देखते हुए बस्तर के सातों जिलों में पुलिस फोर्स तैनात हैं। जगदलपुर के हर चौक-चौराहे में जवानों की तैनाती की गई है। फिलहाल यात्री बसें चल रही हैं। सुबह 6 बजे से शाम 5 से 6 बजे तक बंद का आह्वान किया गया है।
जगदलपुर में गोलबाजार, संजय मार्केट में बंद का असर है।
अध्यक्ष बोले- सातों जिला है बंद
सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर का कहना है कि 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के एक केस में फैसला सुनाते हुए कहा है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में कोटे के ऊपर कोटा और उपवर्गीकरण करते हुए क्रीमीलेयर लागू किया गया है। जिसके विरोध में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य मूल निवासियों ने बंद का आह्वान किया है। सातों जिला बंद है।
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