जब झुग्गी में रहते थे Jackie Shroff…कैसे मनाते थे दीवाली? मिठाई खरीदने के लिए नहीं होते थे पैसे

जब झुग्गी में रहते थे Jackie Shroff…कैसे मनाते थे दीवाली? मिठाई खरीदने के लिए नहीं होते थे पैसे

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Jackie shroff Diwali 2024: पूरे देश में इस साल 31 अक्तूबर और 1 नवंबर को दीवाली का त्यौहर मनाया जाएगा. दो दिन दीवाली में हर कोई खुशी से झूमेगा. बॉलीवुड स्टार्स भी दिल खोलकर दीवाली मनाते हैं. इस साल का फेस्टिव सीजन एक्टर जैकी श्रॉफ (Jackie Shroff) के काफी बड़ा है. इस दीवाली वह अपने बेटे टाइगर श्रॉफ के साथ फिल्म सिंघम अगेन में काम कर रहे हैं. यह फिल्म 1 नवंबर को रिलीज होने वाली है. ऐसे में एक इंटरव्यू में जग्गू दादा ने अपनी पुरानी दिवाली की यादें साझा की हैं. कभी बहुत गरीबी झेलने वाले जैकी श्रॉफ के पास दीवाली के दिन मिठाई का डब्बा खरीदने के भी पैसे नहीं होते थे.

इस साल कैसी होगी श्रॉफ फैमिली की दिवाली
जैकी श्रॉफ को दैनिक जागरण को दिए इंटरव्यू में बताया कि वह इस साल दूसरों की मदद करके त्योहार मनाना चाहते हैं. एक्टर ने कहा, इस साल दिवाली मनाने के लिए अगर कोई बहुत जरूरी शूटिंग रही तो वह शूटिंग पर जाएंगे. वरना घर पर बच्चों के साथ दीवाली मनाएंगे. इसमें सबके साथ पूजा-पाठ से लेकर सुबह की चाय पीना शामिल है. जैकी ने कहा वह अनाथ आश्रम और वृद्धा आश्रम जाकर वहां कुछ मिठाइयां बाटेंगे.

चॉल में रहते थे…गरीबी में नहीं थे मिठाई के भी पैसे
जैकी श्रॉफ ने बताया कि जब वो चॉल में रहते थे तो उनके पास मिठाई का डब्बा खरीदने के भी पैसे नहीं होते थे. पटाखे जलाने के लिए उनके पैसे नहीं थे. जब दुनिया महंगे पटाखे जलाती थी तो वो छत पर बैठकर आसमान में पटाखों की रोशनी देखकर खुश हो जाते थे. जो पटाखे नहीं जले होते तो उन्हें उठा लाते थे और अगले दिन जलाते थे.

चॉल में रहते थे…गरीबी में नहीं थे मिठाई के भी पैसे
जैकी श्रॉफ ने बताया कि जब वो चॉल में रहते थे तो उनके पास मिठाई का डब्बा खरीदने के भी पैसे नहीं होते थे. पटाखे जलाने के लिए उनके पैसे नहीं थे. जब दुनिया महंगे पटाखे जलाती थी तो वो छत पर बैठकर आसमान में पटाखों की रोशनी देखकर खुश हो जाते थे. जो पटाखे नहीं जले होते तो उन्हें उठा लाते थे और अगले दिन जलाते थे.

जैकी श्रॉफ ने दूसरों की दीवाली मनाने की दी सीख
इस इंटरव्यू में जग्गू दादा ने दिवाली पर दूसरों की मदद करने की सीख दी है. उन्होंने कहा मैं बहुत गरीबी के दौर से गुजरा हूं. इसलिए अपने बच्चों से कहता हूं कि बाकियों को खिलाओ, सिग्नल पर जो बच्चे होते हैं, उन्हें मिठाइयां दो. जहां रोशनी न हो वहां दीप जलाना बड़ी बात है। वृद्धा आश्रम व अनाथ आश्रम में जाकर उन लोगों की मदद करो. यही असली त्योहार है.

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