दवा फैक्ट्री में डेढ़ साल से चल रहा था एमडी ड्रग्स का कारखाना, 112 KG मेफेड्रोन किया था जब्त

दवा फैक्ट्री में डेढ़ साल से चल रहा था एमडी ड्रग्स का कारखाना, 112 KG मेफेड्रोन किया था जब्त

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झाबुआ जिले के मेघनगर में एक दवा फैक्ट्री के अंदर एमडी ड्रग्स का कारखाना पकड़ा गया है। डीआरआई ने छापेमारी कर 112 किलोग्राम मेफेड्रोन जब्त किया था, इसमें चार लोग गिरफ्तार हुए, जिनमें फैक्ट्री का संचालक विजय राठौर शामिल है। जांच में पता चला कि ड्रग्स को ड्रोन एम कैट व्हाइट मैजिक के नाम से बेचा जा रहा था।

मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के औद्योगिक क्षेत्र मेघनगर में पकड़ा गया एमडी ड्रग्स बनाने का कारखाना दवा फैक्ट्री के अंदर संचालित किया जा रहा था। बाहर फार्मा फैक्ट्री का बोर्ड लगा था और अंदर ड्रग्स तैयार करने का काम किया जा रहा था। इस फैक्ट्री के बाहर मेघनगर फार्मा लिखा हुआ है।

शनिवार को डायरेक्टोरेट आफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआइ) की छापामार कार्रवाई के बाद इस फैक्ट्री को सील कर दिया गया। रविवार को यहां ताला लटका नजर आया। वहीं, यहां बरामद 112 किलोग्राम मेफेड्रोन जब्त करने के साथ ही यहां से गिरफ्तार चार लोगों को डीआरआई की टीम अपने साथ ले गई। इनमें फार्मा फैक्ट्री का संचालक विजय राठौर और तीन कर्मचारी हैं। राठौर गुजरात के दाहोद जिले के अनास का रहने वाला बताया गया है।

तीन को भेजा जेल

सोमवार को डीआरआई ने झाबुआ जिला न्यायालय में चारों आरोपितों को पेश किया। इस दौरान डीआरआई ने आरोपितों से पूछताछ के लिए रिमांड मांगी, जहां से न्यायाधीश विवेक रघुवंशी ने मुख्य आरोपित फैक्ट्री संचालक विजय राठौर की रिमांड 18 अक्टूबर तक मंजूर की। वहीं, रतन नलवाया, वैभव नलवाया व रमेश बस्सी को जेल भेज दिया गया।

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फार्मा फैक्ट्री का लाइसेंस लिया था

जानकारी मिली है कि डेढ़ वर्ष साल पहले ही राठौर ने इस फार्मा फैक्ट्री का लाइसेंस लिया था। समझा जा रहा है कि तब से ही कारखाना यहां संचालित किया जा रहा था और किसी को इसकी भनक नहीं लगी। डीआरआई ने भी छापे की सूचना स्थानीय पुलिस को नहीं दी। झाबुआ जिले के पुलिस अधीक्षक पद्मविलोचन शुक्ल का कहना है कि डीआरआई द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में कोई सूचना नहीं मिली।

डीआरआई का कार्रवाई

बता दें कि शनिवार को सुबह केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग से जुड़ी एजेंसी- डायरेक्टोरेट आफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआइ) ने झाबुआ जिले के मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र स्थित दवा का उत्पाद करने वाली फैक्ट्री- मेघनगर फार्मा में छापामार कार्रवाई करके यहां से 112 किलोग्राम मेफेड्रोन एमडी ड्रग्स जब्त की थी।

डीआरआई की वेबसाइट पर जारी की गई जानकारी के अनुसार, फैक्ट्री के परिसर से 36.1 किलोग्राम सूखा और 76 किलोग्राम तरल मेफेड्रोन जब्त किया गया। हालांकि डीआरआई ने इसकी कीमत का खुलासा नहीं किया है, लेकिन बाजार में इतनी मेफेड्रोन की कीमत लगभग 168 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। फैक्ट्री में ड्रग्स बनाने का संयत्र संचालित मिला।

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सैंपल में मेफेड्रोन ड्रग्स

डीआरआई ने शनिवार को फैक्ट्री पर कार्रवाई के दौरान ड्रग्स के जो सैंपल लिए थे, उनकी फोरेंसिक लैब में जांच की गई। लैब की जांच रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है कि सैंपल में मेफेड्रोन ड्रग्स है। हालांकि डीआरआई ने अभी तक इस मामले में आगे की कार्रवाई का खुलासा नहीं किया है, लेकिन समझा जा रहा है कि डीआरआई अब पकड़े गए आरोपितों से पूछताछ कर यह जानने की कोशिश में जुटी है कि यहां से ड्रग्स की सप्लाय कहां-कहां की जा रही थी। समझा जा रहा है कि इसके संचालक में कोई अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क भी हो सकता है।

टेबलेट, इंजेक्शन व पाउडर फार्म में थी उपलब्ध

डीआरआई की जांच में सामने आया है कि कारखाना से मेफेड्रोन ड्रग्स को बाजार में ड्रोन एम कैट व्हाइट मैजिक के नाम से बेचा जा रहा था। यह भारत में पूरी तरह से प्रतिबंधित ड्रग्स है। मेघनगर में पकड़े गए कारखाना से इसे टेबलेट, इंजेक्शन और पाउडर फार्म में बेचा जा रहा था।

भोपाल में ड्रग्स बरामद होने के मामले में तीन आरोपितों को जेल भेजा

राजधानी के औद्योगिक क्षेत्र बगरोदा स्थित एक निजी फैक्ट्री में बड़ी मात्रा में मिले एमडी ड्रग्स के मामले में गिरफ्तार तीन आरोपित अमित चतुर्वेदी, सान्याल प्रकाश और हरि सिंह आंजना की पुलिस अभिरक्षा सोमवार को पूरी हो गई। तीनों को जिला अदालत भोपाल में विशेष न्यायाधीश राजश्री श्रीवास्तव के न्यायालय में पेश किया गया। यहां से तीनों को 26 अक्टूबर तक के लिए जेल भेज दिया गया।

बता दें कि बगरोदा औद्योगिक क्षेत्र में स्थित प्रयोगशाला से छापामार कार्रवाई में 58.61 किलोग्राम मेफेड्रोन पाउडर और 848.480 किलो ग्राम तरल मेफेड्रोन के साथ अन्य कच्चा माल और अन्य उपकरण बरामद किए गए थे। इसके बाद आरोपितों को 14 अक्टूबर तक रिमांड पर लिया गया था। पूछताछ में उनसे अहम खुलासे होने के बाद सोमवार को रिमांड का समय पूरा होने के बाद कोर्ट के सामने पेश किया।

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