दीपावली पर बिगड़ी मध्य प्रदेश की आबोहवा, ग्वालियर में 400 के पार पहुंचा वायु गुणवत्ता सूचकांक

दीपावली पर बिगड़ी मध्य प्रदेश की आबोहवा, ग्वालियर में 400 के पार पहुंचा वायु गुणवत्ता सूचकांक

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सामान्य दिनों में स्वच्छ मानी जाने वाली मध्य प्रदेश के अधिकांश शहरों की हवा में दीपावली पर प्रदूषण का जहर घुल गया। अगर आपने इस हवा में कुछ घंटे बिता लिए तो बीमार होने का खतरा है। सांस और दिल के मरीजों को यह हवा गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने जो आंकड़े दिए हैं, वे वायु गुणवत्ता की चिंताजनक तस्वीर दिखा रहे हैं। भोपाल के अरेरा कॉलोनी के पास स्थित पर्यावास परिसर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 305 दर्ज किया गया। प्रदूषण की दृष्टि से इस हवा को बहुत खराब की श्रेणी में रखा गया है। प्रदेश में सबसे गंभीर स्थिति ग्वालियर की है, वहां एक्यूआई 400 का स्तर पार कर गया। ग्वालियर में शुक्रवार सुबह एक्यूआई 408 दर्ज किया गया।

दो दिन पहले अपेक्षाकृत स्वच्छ थी हवा

प्रदूषण नियंत्रण मंडल का डाटा 30 अक्टूबर तक प्रदेश के सभी शहरों की वायु गुणवत्ता सामान्य दिखा रहा था। उस दिन भोपाल के पर्यावास परिसर का एक्यूआइ 196 था। ग्वालियर के डीडी नगर में इसका स्तर 182 था। जबलपुर में इसे 131 मापा गया था। इस हवा की गुणवत्ता मध्य स्तर की प्रदूषित मानी गई थी। वहीं इंदौर में इसे 279 मापा गया, जो खराब माना जाता है।

लेकिन दीपावली की एक रात में वायु गुणवत्ता की पूरी तस्वीर बदल गई। 31 अक्टूबर की सुबह नौ बजे से लेकर एक नवंबर की सुबह नौ बजे तक प्रदेश के अधिकांश शहरों की हवा में पटाखों का इतना जहरीला धुंआ घुला कि वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो गई। भोपाल के पर्यावास परिसर में एक्यूआई 305 दर्ज किया गया, जहां पीएम 2.5 का स्तर बहुत खराब स्थिति में है। भोपाल के ही कलेक्ट्रेट परिसर में एक्यूआई 222 रहा, जो हवा की खराब श्रेणी में आता है।

ग्वालियर के डीडी नगर क्षेत्र में एक्यूआई 408 तक पहुंच गया। यह प्रदूषण की गंभीर श्रेणी में आता है। ग्वालियर के ही महाराजबाड़ा क्षेत्र में भी एक्यूआइ 320 के पार है। इंदौर में एक्यूआई 399 तक था, वहीं जबलपुर में 335 और उज्जैन में 321 मापा गया था।

डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। अस्थमा के मरीजों और सांस संबंधी दूसरी बीमारियों से पीड़ित लोगों में अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

हवा में इस तरह का जहर

विशेषज्ञों का कहना है कि पटाखों के बाद जो धुंआ उठता है, उसमें कई तरह के खतरनाक रसायन होते हैं। इसमें कार्बन मोनो आक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, ओजोन, स्ट्राइकीन और क्लोरीन जैसी गैसों के साथ पीएम 2.5 जैसे धूल और बारूद के ऐसे कण भी हैं, जो नग्न आंखों से सामान्य तौर पर दिखते भी नहीं। इनकी वजह से सांस की नली, फेफड़ों का संक्रमण हो सकता है। उसमें सूजन आ सकती है। तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंच सकता है। एक-दो दिनों तक हवा में उनका असर बने रहने की आशंका है।

एक नवम्बर सुबह बड़े शहरों की वायु गुणवत्ता

शहर – वायु गुणवत्ता सूचकांक

भोपाल (कलेक्ट्रेट ऑफिस) – 222

भोपाल (पर्यावास परिसर) – 305

देवास (भोपाल चौराहा) – 329

ग्वालियर (डीडी नगर) – 408

इंदौर (छोटी ग्वालटोली) – 399

जबलपुर – 335

खंडवा – 323

रतलाम – 365

उज्जैन (महाकालेश्वर मंदिर) – 321

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