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हरदा विस्फोट मामले की शुरुआती पड़ताल में हिन्दुस्तान टाइम्स को मिले दस्तावेजों से पता चला है कि फैक्ट्री में अनुमति से अधिक विस्फोटक स्टोर किए गए थे। फैक्ट्री में मानकों के अनुसार पानी की टंकी भी नहीं थी। चौंकाने वाली बात यह कि पिछले साल ही कारखाने को सील करने के आदेश जारी हो गए थे। इसके बावजूद फैक्ट्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब सरकार ने ताबड़तोड़ ऐक्शन लेते हुए कई अधिकारियों पर कार्रवाई कर दी है।
राजेश अग्रवाल और सोमेश अग्रवाल के स्वामित्व वाली नर्मदापुरम जिले के बैरागढ़ इलाके की इस फैक्ट्री की निरीक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि कारखाने ने विस्फोटक अधिनियम 2008 के तहत कई मानदंडों का उल्लंघन किया है, जिससे इसका संचालन तुरंत बंद कर दिया जाना चाहिए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पटाखा विनिर्माण परिसर के अनुमोदित मैप के संबंध में जांच के दौरान कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया।
जांच के दौरान, यह पाया गया कि गोदाम के कमरों में निर्मित पटाखों को सुखाने के लिए रखा गया था, जो विस्फोटक नियम-2008 की विशिष्टता 3 के अनुसार नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फैक्ट्री में स्टोर विस्फोटक परमिशन से ज्यादा था। फैक्ट्री में सुतली बम जैसे पटाखे थे, जो लाइसेंस शर्तों का उल्लंघन था। फैक्ट्री को केवल 15 किलोग्राम विस्फोटक रखने की इजाजत थी। यही नहीं आरोपी ने एक ही परिसर में फैक्ट्री के लिए दो लाइसेंस लिए और स्टॉक तय सीमा से कई गुना ज्यादा था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि फैक्ट्री में विस्फोटक नियम 2008 के नियम 13 (1) के तहत निर्धारित पर्याप्त पानी के टैंक नहीं थे। यही नहीं अधिनियम की धारा 11 (4) के तहत निर्धारित सुरक्षा नियमों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए प्रमाणित फोरमैन भी नहीं था। निरीक्षण अधिकारी और तत्कालीन उपविभागीय मजिस्ट्रेट आशीष खरे ने सितंबर 2023 में नर्मदापुरम आयुक्त से कहा कि कारखाने को सील कर दिया जाना चाहिए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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