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एक तरफ जहां बांग्लादेश में भड़की हिंसा की आग धीरे धीरे शांत होने की कगार पर है वहीं दूसरी तरफ इससे भड़की चिंगारी भारत में दस्तक दे रही है। कोलकाता में मुजीबुर रहमान की मूर्ति को हटाने की मांग को लेकर विवाद शुरू हो गया है। वहीं ऑल इंडिया माइनॉरिटी फेडरेशन ने कोलकाता के बेकर हॉस्टल से बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति हटाने की मांग की है। वहीं कोलकाता के शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों ने मूर्ति हटाने की कोशिश की कड़ी आलोचना की है। इस बीच बांग्लादेश की स्थिति को देखते हुए पुलिस ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है। तलतला पुलिस स्टेशन की पुलिस की एक टीम कमरों की निगरानी कर रही है। एक अधिकारी ने कहा, “हमें निर्देश हैं कि किसी को भी कमरों या मूर्ति के करीब न आने दिया जाए।”
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक 114 साल पहले मुजीबुर रहमान इसी हॉस्टल में रहा करते थे। मुजीबुर यहां बेकर हॉस्टल के रूम नंबर 23 और 24 में 1942 से 1947 के बीच रहा करते थे। उस वक्त वह मौलाना आज़ाद कॉलेज के छात्र थे जिसे पहले इस्लामिया कॉलेज के नाम से जाना जाता था। इन कमरों में अभी भी उनका बिस्तर, मेज, कुर्सी, अलमारी और किताबें संभाल कर रखी हुई हैं। इन दो कमरों के बाहर गलियारे में उनकी एक मूर्ति स्थापित की गई थी। यह प्रतिमा 2010 में स्थापित की गई थी और बांग्लादेश की पूर्व विदेश मंत्री दीपू मोनी ने इसका अनावरण किया था। बाद में बांग्लादेशी मूर्तिकार लिटन पाल रोनी ने एक नई प्रतिमा बनाई और 2019 में पुरानी मूर्ति को बदल दिया गया था।
उस इलाके में मूर्ति नहीं होनी चाहिए- माइनॉरिटी फेडरेशन
मौजूदा विवाद तब शुरू हुआ जब ऑल इंडिया माइनॉरिटी फेडरेशन ने मस्जिद के पास स्थित मूर्ति हटाने की मांग की। फेडरेशन के महासचिव मोहम्मद कमरुज्जमां ने कहा, “हमने लंबे समय से यह मांग की है। पास में एक मस्जिद है और लोग वहां नमाज पढ़ते हैं। उस इलाके में मूर्ति नहीं होनी चाहिए। हालांकि हमने शहर में कहीं और बंगबंधु की प्रतिमा लगाने पर कोई आपत्ति नहीं जताई है।”
कोलकाता को इन नेताओं को बनाने पर गर्व है- तनवीर नसरीन
इस मांग की बुद्धिजीवियों ने कड़ी आलोचना की है। फिल्म निर्माता गौतम घोष ने कहा, “मुजीबुर रहमान को बांग्लादेश में राष्ट्रपिता माना जाता है। यह इतिहास का हिस्सा है। यह प्रतिमा मेरी डॉक्यूमेंट्री में भी दिखाई गई थी।” बर्दवान विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रमुख तनवीर नसरीन का मानना है कि कोलकाता में तीन लोगों की समृद्ध विरासत है जिन्होंने पहले पाकिस्तान और बाद में बांग्लादेश को बनाने में अहम योगदान दिया। सुहरावर्दी, फजलुल हक और मुजीबुर रहमान। इन सभी का करियर कोलकाता में था। कोलकाता को इन तीन नेताओं को बनाने पर गर्व है।
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