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उत्तराखंड में UCC (समान नागरिक संहिता) के लिए नियम बनाने वाली समिति के प्रमुख ने शुक्रवार को कहा कि 18 से 21 साल की उम्र में लिव-इन में रहने वाले जोड़ों की जानकारी उनके माता-पिता को दी जानी चाहिए। साथ ही समिति ने यह भी कहा कि इससे अधिक की उम्र के जोड़ों की जानकारी को पूरी तरह गोपनीय रखने के इंतजाम किए जा रहे हैं। उत्तराखंड विधानसभा द्वारा इस साल फरवरी में पारित UCC के जरिए लिव-इन संबंध और विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य बना दिया गया है।
UCC पर एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट शुक्रवार को www.ucc.uk.gov.in वेबसाइट पर अपलोड की गई। UCC के नियम-निर्माण और कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि इसे पहले सार्वजनिक नहीं किया जा सका क्योंकि आदर्श आचार संहिता लागू थी।
इस बारे में देहरादून में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि UCC के कार्यान्वयन के लिए नियम बनाने वाला पैनल यह सुनिश्चित करेगा कि विवाह और लिव-इन संबंधों को पंजीकृत करते समय लोगों द्वारा दी गई जानकारी की गोपनीयता का उल्लंघन न हो। जब उनसे पूछा गया कि UCC का वह नियम जिसमें 18 से 21 साल की उम्र वाले लिव-इन जोड़े के बारे में उनके माता-पिता को सूचित करने का अनिवार्य प्रावधान किया गया है, यह उनकी निजता पर हमला नहीं होगा? तो जवाब में उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव सिंह ने कहा कि यह बहस का विषय है।
उन्होंने कहा, ’21 साल से अधिक की उम्र वाले लिव-इन जोड़ों की जानकारी की पूरी तरह सुरक्षित रहेगी। लेकिन 18 से 21 साल की उम्र के जोड़ों के लिए समिति का विचार था कि यह उम्र नाजुक होती है (इस तथ्य के बावजूद कि उनके पास मतदान का अधिकार है) और इसलिए कपल की सुरक्षा के लिए एहतियात बरतते हुए उनके माता-पिता को भी इस बारे में सूचित किया जाना चाहिए।
सिंह ने बताया कि UCC की नियमावली-निर्माण और कार्यान्वयन समिति का काम एडवांस स्टेज में है। उन्होंने कहा, ‘समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन के लिए नियमों की कोडिंग का काम चल रहा है और इसके जल्द ही पूरा होने की संभावना है।’
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की हाल की उन टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर जिसमें उन्होंने कहा था कि समान नागरिक संहिता इस साल अक्टूबर तक लागू कर दी जाएगी, शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि समिति यह सुनिश्चित करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है कि कानून उसी समय सीमा के भीतर लागू हो।
समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक इस साल 7 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा में पारित हुआ था और 11 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा अपनी स्वीकृति दिए जाने के साथ ही कानून बन गया। विधेयक पारित किए जाने के कुछ ही दिनों बाद ही इसके क्रियान्वयन के लिए नियम बनाने के लिए सिंह की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। स्वतंत्रता के बाद UCC को अपनाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है।
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