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मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत और मालदीव के बीच संबंधों में आई खटास को मिटाने के मकसद से अगले महीने 7 से 9 अक्टूबर के बीच भारत का दौरा करेंगे। इस दौरे से पहले मुइज्जू पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए भारत आए थे। अगले महीने होने वाली यात्रा के दौरान मुइज्जू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य भारतीय नेताओं के साथ अहम बैठकें करेंगे। उनकी यह यात्रा खास इसलिए भी मानी जा रही है क्योंकि राष्ट्रपति बनने के बाद से ही मुइज्जू ने 2023 में ‘इंडिया आउट’ अभियान के जरिए भारतीय सैनिकों मालदीव से वापस भेजने का निर्णय लिया था। मुइज्जू के इस निर्णय के बाद से भारत के साथ मालदीव के रिश्तों में खटास आ गई थी।
हालांकि, हाल के महीनों में दोनों देशों के संबंधों में सुधार के संकेत मिले हैं। भारत ने मालदीव में तैनात सैन्य कर्मियों की जगह नागरिक विशेषज्ञ भेजे, जिससे संबंधों में फिर से गर्मजोशी लौट आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुइज्जू को अपने शपथ ग्रहण समारोह में भी आमंत्रित किया था। उस वक्त भी मुइज्जू भारत आए थे। उनके इस दौरे के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अगस्त में मालदीव का दौरा किया। इस दौरान भारत और मालदीव के बीच कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर सहमति बनी, जिनमें भारत की यूपीआई प्रणाली का मालदीव में शुभारंभ भी शामिल था।
भारत यात्रा से पहले मुइज्जू ने हाल ही में भारत को मालदीव का सबसे नजदीकी सहयोगी और अमूल्य साझेदार करार दिया। उनका यह बयान दोनों देशों के बीच रिश्तों को सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके अलावा, बीते दिनों मुइज्जू की यात्रा के ऐलान से ठीक पहले मालदीव के दो जूनियर मंत्रियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई अपमानजनक टिप्पणियों के चलते इस्तीफा ले लिया गया। इससे यह साफ हो गया कि मुइज्जू की सरकार भारत के साथ संबंध सुधारने को लेकर गंभीर है।
भारत ने भी मालदीव की आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। भारतीय स्टेट बैंक ने मालदीव के ट्रेजरी बिलों की सदस्यता को 50 मिलियन डॉलर तक बढ़ाया, जिससे मालदीव को इस्लामिक बांड भुगतान में चूक से बचने में मदद मिली। विशेषज्ञों का मानना है कि मुइज्जू की यह यात्रा भारत के साथ रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी, और इससे दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध स्थापित होंगे।
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