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लोकसभा में बुधवार को बजट पर चर्चा के दौरान अध्यक्ष ओम बिरला और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य अभिषेक बनर्जी के बीच कई बार तीखी नोकझोंक देखने को मिली। बनर्जी ने सत्तापक्ष के सदस्यों से कहा, ‘‘अपनी कुर्सी की पेटी बांधकर रखिए, मौसम का मिजाज बिगड़ने वाला है।’’ बनर्जी अपने भाषण में शुरू से ही सरकार पर हमलावर रहे और उन्होंने तीखे अंदाज में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और 2024-25 के बजट को निशाना बनाया। जिस वक्त बनर्जी बोल रहे थे, तब पीठासीन अधिकारी के तौर पर दिलीप सैकिया आसीन थे। बनर्जी के संबोधन के शुरू होते ही सत्ता पक्ष और तृणमूल के सदस्य वाक् युद्ध में शामिल हो गये और जब हंगामा बढ़ गया तो बिरला आसन पर आ गये।
बुधवार को सदन की कार्यवाही के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने दोनों पक्षों को व्यक्तिगत टिप्पणी से बचने और संसदीय मर्यादा का पालन करने को कहा। बनर्जी ने मोदी सरकार की कथित विफलताओं का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने सदन में चर्चा किये बिना ही तीन कृषि कानून बना दिये, जिसे अंतत: वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि उन कानूनों के संबंध में किसान संगठनों से भी चर्चा नहीं की गई।
कृषि कानूनों पर ओम बिरला से बनर्जी की नोंक-झोंक
इस पर बिरला ने उन्होंने टोकते हुए कहा कि माननीय सदस्य को गलतबयानी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कृषि कानूनों को लेकर सदन में साढ़े पांच घंटे की चर्चा हुई थी। इस पर बनर्जी ने जोर देकर कहा कि संबंधित विधेयक पर कोई चर्चा नहीं की गयी। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। बिरला ने हंगामे के बीच ही कहा, ‘‘इस रिकॉर्ड को क्लियर कर लें। इस सदन में साढ़े पांच घंटे चर्चा हुई थी…।”
700 किसान मारे गए और संसद में ताली बजा रहे- बनर्जी
अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘‘बिल पर कोई चर्चा नहीं हुई।’’ इस पर बिरला ने कहा, ”जब अध्यक्ष बोलता है, तो बोलता है और वह सही बोलता है। आप अपने आप को ठीक करो। मैं जब बोल रहा हूं, तो मैं कभी गलत नहीं बोल सकता।’’ इसके बाद बनर्जी ने कहा, ‘‘इस सदन में लोग ताली बजा रहे हैं, 700 किसान मारे गए…क्या एक मिनट के लिए खड़े होकर उनको श्रद्धांजलि दी? यहां ताली बजा रहे हैं।’’
इस पर एक बार फिर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा किया तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी बात रोक रहा हूं। मैं भाजपा से सवाल पूछ रहा हूं… मंत्री को इसका जवाब देना है.. इनमें (सत्तापक्ष के हंगामा कर रहे सदस्यों में) से कोई भी अगर जवाब देना चाहता है, (तो) कोई भी मीडिया चैनल तय कर लें, समय बता दें, मैं आ जाऊंगा…मैं इन्हें बहस के लिए चुनौती देता हूं…।’’ इस पर अध्यक्ष ने कहा, ‘‘आप चुनौती मत दीजिए, अपनी बात कहिए.. बाहर चुनौती दीजिए, सदन में नहीं।’’
नोटबंदी पर बनर्जी और ओम बिरला में बहस
बनर्जी ने 2016 में की गयी नोटबंदी और कोरोना काल में हुए लॉकडाउन का भी जिक्र किया। उन्होंने आरोप लगाया कि अपने अनियोजित फैसलों से प्रधानमंत्री ने पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया। इस पर अध्यक्ष ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘वर्ष 2016 के बाद दो बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। आप बजट पर बात कीजिए।’’ अध्यक्ष का इशारा 2019 और 2024 में हुए आम चुनावों में भी भाजपा नीत राजग के सत्ता में आने की ओर था। एक बार फिर बनर्जी ने किसी का नाम लिया, जिस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा खड़ा कर दिया।
इस पर अध्यक्ष ने कहा कि माननीय सदस्य उन लोगों के नाम नहीं लें जो सदन के अब सदस्य नहीं हैं। इस पर बनर्जी ने अध्यक्ष से कहा कि जब सत्तापक्ष के सदस्य पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम लेते हैं या देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का नाम लेते हैं तो आसन उस पर कुछ नहीं बोलता, यदि कोई आपातकाल की बात करे तो अध्यक्ष चुप रहते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार की सरकार काफी नाजुक हालत में है, जो कभी भी गिर सकती है। उन्होंने अपने संबोधन के आखिर में कहा, ‘‘सब्र रखिए और अपनी कुर्सी की पेटी बांध लीजिए, क्योंकि मौसम का मिजाज बिगड़ने वाला है।’’
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