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ग्वालियर के पुलिस थानाें में कुछ पुलिस कर्मी ऐसे हैं जो सालों से जमे हुए हैं। यदि उनका ट्रांसफर किसी दूसरे थाने में हो जाता है तो वे अवकाश पर चले जाते हैं या फिर पूरा जोर लगाकर फिर से वापस उन्हीं थानों में चले आते हैं। जबकि शासन से निर्देश है कि किसी भी कर्मचारी को एक थाने पर 4 साल से अधिक न रखा जाए।
ग्वालियर केे पुलिस के थाने चंद चेहरे चला रहे हैं। सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन हकीकत तो यही है। क्योंकि शहर के थानों में कई पुलिसकर्मी ऐसे हैं, जो सालों से एक ही जगह तैनात हैं। कभी किसी शिकायत के बाद इनके थाने बदले या फिर इन्हें लाइन भेजा गया, लेकिन लौटकर उन्हीं थानों में पहुंच गए, जहां पूरा सिस्टम इनके मन माफिक चलता है।
इनके थाने बदल दिए जाएं तो दूसरे थाने में नौकरी करने की बजाय या तो छुट्टी पर जाते हैं या फिर एढ़ी-चोटी का जोर अपनी वापसी में लगाते हैं। कमाल की बात है- कलम की सख्ती दिखाने वाले अफसर भी दबे-छिपे इनकी वापसी वहीं कर देते हैं, जहां यह चाहते हैं। सालों तक एक ही थाने में तैनाती का यह सिस्टम पुलिसिंग पर भारी पड़ रहा है।
सालों से जमे पुलिसकर्मी अपने हिसाब से नेटवर्क का उपयोग करते हैं और नए पुलिसकर्मियों को टिकने नहीं देते। नतीजतन- थाने के अंदर की आपसी खींचतान में अपराध, सट्टा, जुआ, अवैध शराब, अवैध हथियार, मादक पदार्थों का नेटवर्क फलता-फूलता है। कई पुलिसकर्मी तो ऐसे हैं, जहां सिपाही रहे वहीं बाद में प्रधान आरक्षक, एएसआइ तक बनकर पहुंच गए। कुछ पुलिसकर्मी चुनिंदा थानों में ही अदला-बदली करते रहते हैं।
पुलिस मुख्यालय का आदेश…
– किसी भी एक थाने में किसी कर्मचारी को एक पद पर पदस्थापना 4 वर्ष से अधिक नहीं दी जाएगी।
– किसी भी अधिकारी, कर्मचारी को यह अवधि पूर्ण होने पर पुन: उसी थाने में पदस्थ नहीं किया जाएगा।
नईदुनिया पड़ताल…
नईदुनिया टीम ने शहर के कुछ थानों की पड़ताल की। जिसमें हकीकत सामने आई कि कुछ पुलिसकर्मियों को तो एक ही थाने में पांच साल से भी अधिक समय हो चुका है। कुछ जगह हालात यह हैं- थाना प्रभारी से ज्यादा सालों से जमे सिपाही, हवलदारों ने अपनी जड़ें जमा रखी हैं। सूत्र बताते हैं- थाना प्रभारी अगर इन्हें हटाने के लिए लिख भी दें तो यह दोबारा उसी थाने के आदेश करा लाते हैं। नईदुनिया ने क्राइम ब्रांच सहित शहर के 10 थानों की पड़ताल की, जिसमें सामने आया कि यहां कुछ पुलिसकर्मियों की अधिकांश नौकरी एक ही थाने में गुजरी है।
- कोतवाली: प्र.आरक्षक रमेश सिंह, एएसआइ वीरेंद्र कुशवाह, आ. शैलेंद्र भारती
- पड़ाव: प्र.आर शैलेष परमार, प्र.आर.अरुण मिश्रा
- इंदरगंज: प्र.आर राजकुमार राठौर
- बहोड़ापुर: आर. धर्मेंद्र तोमर, हिम्मत भदौरिया
- सिरोल: आर. राकेश मीणा, अरविंद चकवा
- झांसी रोड: प्र. आर देवेंद्र शखवार
- माधोगंज: प्र.आर संतोष कुशवाह
- किलागेट: विवेक तोमर, कमल परिहार
- महाराजपुरा: शैलेंद्र शर्मा, ध्रुव गुर्जर, नागर सिंह, कृष्णमुरारी
- जनकगंज: सतीश परिहार
सबसे ज्यादा…क्राइम ब्रांच का ऐसा ग्लैमर, सालों से तैनाती, हटाओ तो यहीं के लिए मचलते हैं पुलिसकर्मी
क्राइम ब्रांच की पड़ताल की तो सामने आया कि ऐसे कई पुलिसकर्मी हैं, जो सालों से क्राइम ब्रांच का ही चेहरा हैं। अगर इन्हें इधर-उधर किया तो यहीं वापसी के लिए पूरा जोर लगाते हैं। आर. पवन झा, आर.रणवीर यादव, आर.शिवशंकर शर्मा, आर.रूपेश शर्मा, आर.प्रमोद शर्मा, आर.नवीन पाराशर, आर.देवेश कुमार, आर.रामवीर सिंह, आर.रोहित, आर.सतीश राजावत, प्र.आर. हरेंद्र गुर्जर, प्र.आर. अजय शर्मा, प्र.आर.मनोज। हाल ही में इन आदेशों को पुलिस मुख्यालय के नियम से बदला गया…क्राइम ब्रांच में पदस्थ दो पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण पूर्व में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सगर द्वारा किया गया। इस आदेश को यथावत देहात के थानों में इन्हीं नियम के अनुसार किया गया।
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