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मानसून का सीजन समाप्त हो रहा है। लौटते मानसून के कारण मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में बीते दिनों से भारी बारिश हो रही है। अब इसका असर फसलों पर पड़ने लगा है। खेत में खड़ी पकी-पकाई फसलें पानी भरने के कारण बर्बाद हो रही हैं और किसान कुछ नहीं कर पा रहे हैं। उम्मीद है कि अब बारिश रुकेगी और धूप खिलेगी, तो फसल में फिर जान जाएगी।
हाल के दिनों की भारी बारिश ने मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऐसा कहर ढाया कि किसानों की सोयाबीन की फसल बर्बाद कर दी। किसान कुछ नहीं कर पा रहे। पकी हुई फसल पर लगातार हो रही वर्षा के कारण चारों ओर पानी ही पानी हो गया। खेतों ने तालाब का रूप ले लिया। ऐसे में किसान परेशान होता नजर आ रहा है।
लगातार पिछले पांच दिनों से झमाझम वर्षा होने के कारण नदी नाले उफान पर हैं। वहीं तालाब पूरी तरह भर चुके है। आष्टा में रामपुरा डैम भी अपना टारगेट छूने को अंतिम छोर पर खड़ा है। यही हालत रहे तो रामपुरा डैम जल्दी ही लबालब भरा जाएगा और ओवरफ्लो चालू हो जाएगा।
तेज बारिश का सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को
- सबसे ज्यादा नुकसान किसानों का है। चाहे फसल कटकर खेत में पड़ी हो या फिर खलिहान में सड़ती नजर आ रही है। किसान अपनी फसल बचाने के लिए हर एक प्रयास कर रहा है।
- अभी वहीं किसान थोड़ा फायदे में है, जिसने अपनी फसल निकाल ली है। हालांकि इस बार सायोबीन की पैदावारी कम हो रही है। उपर से जो फसल खड़ी है। वह भी बर्बाद होने के कागार पर है।
- लगातार वर्षा के कारण किसान खेतों में कटाई नहीं कर पा रहे हैं। अगर काट भी ले हैं, तो फिर सड़ने का नुकसान है। विदाई की ओर जा रही वर्षा का कहर इस कदर है कि किसान पूरी तरह बर्बादी की ओर पहुंच चुका है।
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