वन प्रबंधन की दिशा में मोहन यादव सरकार का फैसला, कलेक्टरों को मिले नए अधिकार

वन प्रबंधन की दिशा में मोहन यादव सरकार का फैसला, कलेक्टरों को मिले नए अधिकार


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मध्य प्रदेश सरकार ने वन प्रबंधन की दिशा में एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार की ओर से भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों की एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट (एसीआर) के लिए नई प्रणाली लागू किए जाने का निर्णय लिया गया है। बताया जाता है कि सरकार के इस फैसले का मकसद वन प्रबंधन में शामिल विभिन्न विभागों के बीच सहयोग और पारदर्शिता को बढ़ाना है। 

नई व्यवस्था के तहत अब डीएफओ (District Forest Officer) की एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट (एसीआर) पर कलेक्टर की टिप्पणियों को शामिल किया जाएगा। दरअसल, जिला स्तर पर वन प्रबंधन के कार्यों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, भूमि अधिग्रहण एवं माइनिंग में वन एवं प्रशासन दोनों विभागों की जरूरत होती है। ऐसे में जिला कलेक्टर की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। कलेक्टर की मंजूरी पर ही प्रस्ताव पास होते हैं। 

अब नई व्यवस्था के तहत वरिष्ठ आईएफएस अधिकारियों की  एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट (एसीआर) अब विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पहुंचाई जाएगी। पहले डीएफओ (जिला वन अधिकारी) के लिए एसीआर प्रक्रिया में जिला कलेक्टरों की टिप्पणी नहीं होती थी। इसकी वजह से कभी-कभी इन दो प्रमुख जिला स्तरीय प्राधिकरणों के बीच कोऑर्डिनेशन में कमी देखी जाती थी। अब जिला कलेक्टरों की टिप्पणी भी शामिल की जाएगी। 

सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि आईएफएस अधिकारी की एसीआर लिखने की मुख्य जिम्मेदारी अभी भी आईएफएस अधिकारियों के पास ही रहेगी लेकिन कलेक्टर और विभागीय वरिष्ठों की टिप्पणियां अधिकारी के प्रदर्शन के बारे में व्यापक जानकारी देंगी। सरकार की इस पहल का मकसद वन प्रबंधन से जुड़े मसलों में सहयोग और पारदर्शिता पर फोकस करना है। यह बदलाव अधिकारी के प्रदर्शन का व्यापक मूल्यांकन सुनिश्चित करेगा।