व्हाइट टापिंग तकनीक से होगा जबलपुर की दो सड़कों का निर्माण, खर्च होंगे 25 करोड़

व्हाइट टापिंग तकनीक से होगा जबलपुर की दो सड़कों का निर्माण, खर्च होंगे 25 करोड़

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मध्‍य प्रदेश के जबलपुर में लोक निर्माण विभाग डामर की सड़क पर हर साल हाेने वाले गड्डों से तंग आ चुका है। अब डामर की सड़क को नई तकनीक से तैयार किया जाएगा। यह तकनीक सामान्य निर्माण से थोड़ा महंगी है, लेकिन उतनी ही टिकाऊ भी बताई जा रही है।

एम पी सरकार दावा है कि सड़क बनने के बाद 25 साल तक उसकी लाइफ होगी। इस तकनीक को व्हाइट टापिंग कहा जाता है। शहर की दो सड़कों को 25 करोड़ रुपये की लागत से इसी तकनीक से तैयार किया जाएगा। नगर निगम से दो सड्कें निर्माण के लिए ली जाएंगी। लोक निर्माण विभाग यह सड़क बनाएगा।

ये होगी वीआइपी सड़क

लोक निर्माण विभाग के अफसर पिछले दिनों इंडियन रोड कांग्रेस के सेमिनार में शामिल हाेने भोपाल गए थे। जहां व्हाइट टापिंग तकनीक पर चर्चा हुई। सड़क निर्माण इसी तकनीक से करने पर जोर दिया गया। जिसके बाद लोक निर्माण विभाग ने अलग-अलग शहरों में इस तकनीक से सड़क निर्माण करने का निर्णय लिया।

यहां से यहां तक किया जाएगा निर्माण

जबलपुर में गुरु तेज बहादुर खालसा कालेज के सामने से शंकराचार्य चौक होते हुए बंदरिया तिराहे तक की सड़क और इलाहाबाद चौक सिविल लाइन से महाकोशल कालेज चौक, लोहिया पुल से रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय तक के मार्ग को व्हाइट टापिंग तकनीक से निर्माण करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।

25 करोड़ रुपये का खर्च आंकलित किया गया है

इस सड़क के लिए करीब 25 करोड़ रुपये का खर्च आंकलित किया गया है। विश्वविद्यालय की सड़क को वीआइपी सड़क बताते हुए बार-बार सुधार करना पड़ता है ऐसे में इस तकनीक से बनाया जा रहा है। इसी तरह पश्चिम विधानसभा से लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने एक सड़क अपने क्षेत्र की पसंद की है।

मेंटेनेंस पर नहीं होगा भारी-भरकम खर्च

ये है तकनीक… सड़क पर छह इंच कांक्रीट विभाग के अधिकारियों ने बताया कि व्हाइट टापिंग तकनीक के तहत डामर रोड पर बेस मजबूत कर छह इंच कांक्रीट किया जाता है। यह तकनीक दक्षिण भारत के राज्यों सहित कई राष्ट्रीय राजमार्ग पर उपयोग में लाई जा रही है।

राजमार्ग को चिह्नित कर इसे प्रयोग में लाएंगे

शहर में कई सड़कें हैे जहां वर्षा में पानी भर जाता है और सड़क खराब होती है। वहां इसका उपयोग कारगर होगा। जिले के आसपास के राजमार्ग को चिह्नित कर इसे प्रयोग में लाएंगे।

बार-बार मेंटेंनेस की जरूरत नहीं पड़ेगी

शर्त यह है कि सड़कें भार की वजह से धंसे नहीं। यह तकनीक बहुत कारागर है और इसमें केवल एक बार खर्च करने के बाद बार-बार मेंटेंनेस की जरूरत नहीं पड़ेगी।

ढाई गुना अधिक लागत

व्हाइट टापिंग तकनीक से बनी सड़क सामान्य डामर रोड की तुलना करीब ढाई गुना महंगी है। अधिकारियों के मुताबिक सात मीटर चौड़ी एक किलोमीटर टू-लेन डामर रोड पर 22 लाख रुपए खर्च आता है। अगर व्हाइट टापिंग तकनीक से इसे बनाने पर करीब 55 लाख प्रति एक किमी के हिसाब से बनेगी।

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