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कनाडा के हिंदू सांसद चंद्र आर्या ने हाल ही में कनाडाई संसद में खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा फैलाई जा रही साजिशों पर कड़ी चिंता जताई। उन्होंने ये भी कहा कि खालिस्तानी कनाडाई समाज को प्रदूषित कर रहे हैं। उनका बयान ऐसे समय में आया है जब कनाडाई संसद की वेबसाइट पर एक याचिका दाखिल कर 39 साल पहले हुए एयर इंडिया फ्लाइट 182 ब्लास्ट की दोबारा जांच की मांग की गई है। यह बम विस्फोट कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा किया गया था, जिसमें 329 लोग मारे गए थे। यह घटना कनाडाई इतिहास में सबसे बड़ा जनसंहार है।
सांसद चंद्र आर्या ने अपने बयान में कहा, “39 साल पहले एयर इंडिया फ्लाइट 182 को कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा लगाए गए बम से हवा में उड़ा दिया गया था। इस हमले में 329 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। आज भी, इस आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी लेने वाले विचारधारा के समर्थक हमारे बीच मौजूद हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि इस हमले के बाद कनाडा ने दो बार जांच की और इनमें खालिस्तानी चरमपंथियों को इस बम विस्फोट के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। अब, एक याचिका के माध्यम से नए सिरे से जांच की मांग की जा रही है, जो खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा प्रचारित साजिश को बढ़ावा देती है।
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए, हादसे में मारी गई एक महिला के पति ने निराशा जताई है। सांसद चंद्र आर्या ने संसद में दिया अपना बयान ट्वीट करते हुए बताया कि मिस्टर बल गुप्ता की पत्नी रमा इस हमले में मारी गई थीं। गुप्ता ने ग्लोब एंड मेल अखबार को बताया, “यह अत्यंत निराशाजनक है। यह हमारे पुराने घावों को फिर से हरा कर रहा है। यह सब बकवास है। यह आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रचार और समर्थन प्राप्त करने का एक प्रयास है।” 23 जून 1985 को दिल्ली से वैंकूवर जा रहे एयर इंडिया के कनिष्क विमान में विस्फोट हुआ था और इसमें सवार सभी 329 लोग मारे गए थे। कनिष्क विमान में लगाया बम उस समय फटा जब विमान आयरलैंड के पश्चिमी तट के ऊपर उड़ रहा था।
इससे पहले, इस प्रमुख कनाडाई सांसद ने इस बात पर जोर दिया कि कनाडाई समाज खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा “प्रदूषित” किया जा रहा है जो अधिकारों के चार्टर के तहत गारंटीकृत स्वतंत्रता का “दुरुपयोग” कर रहे हैं। चंद्र आर्य ने कहा, “खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा हमारी भूमि को प्रदूषित किया जा रहा है जो हमारे कनाडाई अधिकारों के चार्टर द्वारा गारंटीकृत हमारी स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर रहे हैं।”
यह बयान भारत और कनाडा के बीच खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर लगातार बढ़ती चिंताओं के बीच आया है। खालिस्तानी चरमपंथी न केवल कनाडा की सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि भारत की संप्रभुता और अखंडता को भी चुनौती दे रहे हैं। कनाडाई सांसद द्वारा इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाना न केवल भारतीय समुदाय बल्कि आतंकवाद के शिकार लोगों के परिवारों के लिए भी महत्वपूर्ण है। चंद्र आर्या का यह बयान उन लोगों को स्पष्ट संदेश है जो आतंकवादी विचारधाराओं को समर्थन देने का प्रयास कर रहे हैं। भारत ने भी कई बार खालिस्तानी चरमपंथियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है, जो कनाडा में शरण लेकर अपनी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे में कनाडाई सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि वह इस तरह की साजिशों को बढ़ावा देने वाले तत्वों पर सख्ती से कार्रवाई करे।
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