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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सिक्किम में जान गंवाने वाले प्रदेश के कटनी जिले के सिपाह प्रदीप पटेल के परिजनों को एक करोड़ रुपए की मुआवजा राशि देने की घोषणा की है। यह बात उन्होंने शनिवार को खजुराहो में कही जहां पर वे मृतक जवान को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। उन्होंने खजुराहो हवाई अड्डे पर सिपाही पटेल का शव पहुंचने पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
जवान को श्रद्धांजलि देने के बाद सीएम ने कहा ये हमारे लिए दुखद घटना है, लेकिन देश और सेना पर हमेशा गर्व रहेगा। देश के जवान शांति काल हो या युद्ध काल, मुस्तैदी से ड्यूटी करते हैं और देश की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यादव ने आगे कहा, ‘मैंने खजुराहो हवाई अड्डे पर बहादुर सिपाही को पुष्पांजलि अर्पित की। मृतक अविवाहित था, इसलिए उसके माता-पिता को एक करोड़ रुपए दिए जाएंगे। राज्य सरकार इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवार के साथ है।’
मृतक सिपाही मूल रूप से राज्य के कटनी जिले के हरदुआ गांव का रहने वाला था। जहां पर शाम को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें मुखाग्नि उनके भतीजे ने दी। इस अवसर पर प्रदेश भाजपा प्रमुख और स्थानीय सांसद वीडी शर्मा, स्थानीय विधायक संजय पाठक और कई अन्य नेता मौजूद थे। इस दौरान इन लोगों ने मृतक के शव को कंधा भी दिया।
पटेल के परिवार में उनकी दो विवाहित बहनें और माता-पिता हैं। एक रिश्तेदार ने बताया कि प्रदीप पटेल के पिता बैसाखू पटेल एक छोटे किसान हैं, जिनकी कमाई ज्यादा नहीं है। पटेल परिवार अभी भी कच्चे घर में रहता है। कटनी निवासी पटेल की बड़ी बहन गुड्डी पटेल ने बताया कि उनके भाई का चयन 2019 में सेना में हुआ था। वह हर चार महीने में अपने माता-पिता से मिलने आता था। उन्होंने कहा, ‘मेरा भाई मुझसे कहता था कि वह पहले घर बनवाना चाहता है और फिर शादी करना चाहता है।’ उन्होंने आगे बताया कि प्रदीप ही उनके दिवंगत पति से पैदा हुए बेटे का वित्तीय खर्च उठाता था।
पुलिस ने बताया कि 5 सितंबर को सिक्किम के पाकयोंग जिले में हुए हादसे में सिपाही प्रदीप पटेल समेत चार सैन्यकर्मियों की मौत उस समय हो गई थी, जब सेना के ईएमसी कर्मियों को ले जा रहा एक वाहन रेनॉक-रोंगली राजमार्ग पर सड़क से फिसलकर जंगल में जा गिरा।
बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने जून में सेना, अर्धसैनिक बल और पुलिस के सुरक्षाकर्मियों सहित शहीद के परिवार को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को पति/पत्नी और माता-पिता के बीच बराबर-बराबर बांटने का फैसला किया था।
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