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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने साल 2008 में एक शख्स की हत्या के मामले में दो महिलाओं को बरी कर दिया। हालांकि इन दो महिलाओं में से एक सूरज बाई को 14 साल तक जेल काटनी पड़ी। इसके साथी न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया और न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने निचली अदालत से अभियोजन पक्ष के गवाहों के खिलाफ झूठी गवाही और साक्ष्य देने के लिए कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया।
सूरज बाई पर अपनी रिश्तेदार भूरी बाई की मदद से अपने देवर की हत्या करने और शव को पेड़ से लटकाकर घटना को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश का आरोप लगाया गया था। अदालत ने उन्हें पिछले हफ्ते राहत दी। अदालत ने 16 अक्टूबर को दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील को स्वीकार करते हुए अपने आदेश में सूरज बाई को जेल से तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया।
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