24 साल पुराने हैंसी क्रोनिए से जुड़े मैच फिक्सिंग केस में आरोप तय; लंदन के बुकी को बताया मुख्य साजिशकर्ता

24 साल पुराने हैंसी क्रोनिए से जुड़े मैच फिक्सिंग केस में आरोप तय; लंदन के बुकी को बताया मुख्य साजिशकर्ता


दिल्ली की एक अदालत ने 24 साल पुराने क्रिकेट मैच फिक्सिंग केस में चार आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप तय कर दिए हैं। आरोपियों में लंदन स्थित बुकी और मुख्य साजिशकर्ता संजीव चावला और टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार के छोटे भाई व अभिनेता कृष्ण कुमार शामिल हैं। इस मैच फिक्सिंग में दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन कप्तान हैंसी क्रोनिए भी शामिल थे। जिनकी साल 2002 में एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी। 

पटियाला हाउस जिला अदालत के 68 पेज के आदेश के बाद अब इस केस में मुकदमा शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट ने जिन आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए हैं उनमें चावला व कुमार के अलावा दिल्ली के बुकी राजेश कालरा और सुनील दारा उर्फ ​​बिट्टू का नाम शामिल है। अदालत ने कहा कि ‘घटनाओं के क्रम, बातचीत के रिकॉर्ड, आचरण और आसपास की परिस्थितियों से पता चलता है कि चावला द्वारा हैंसी क्रोनिए (मृतक और आरोपी) के साथ किए गए सौदों में कालरा, कृष्ण कुमार और दारा की मिलीभगत है। इससे पता चलता है कि वे आर्थिक लाभ के लिए क्रिकेट मैच फिक्स करने में सह-भागीदार थे।’

कोर्ट ने कहा कि जांच से पता चलता है कि, ‘चावला मुख्य साजिशकर्ता और मास्टरमाइंड है, जिसने सट्टेबाजों के बीच मध्यस्थ के रूप में काम करके सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और हैंसी क्रोनिए के साथ मिलीभगत करके मैच फिक्सिंग की’। इसके अलावा कोर्ट ने कहा, पूरी मैच फिक्सिंग दक्षिण अफ्रीकी कप्तान हैंसी क्रोनिए की सक्रिय भागीदारी के बिना संभव नहीं थी, जिन्होंने किंग्स कमीशन ऑफ इंक्वायरी के सामनेष अपनी भूमिका और संलिप्तता को स्वीकार किया था।

इसमें कहा गया है कि ‘अन्य सभी आरोपी व्यक्ति संजीव चावला और एक-दूसरे के साथ लगातार संपर्क में रहे और मैच फिक्स करने की साजिश रचते रहे।’ बता दें कि दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने अपने देश के खिलाड़ियों पर लगे मैच फिक्सिंग के आरोपों की जांच करने के लिए किंग्स कमीशन की नियुक्ति की थी। 

इस क्रिकेट मैच फिक्सिंग कांड के सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने साल 2000 में मामला दर्ज किया था, जबकि जांच के बाद साल 2013 में 6 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। केस के मुख्य आरोपी चावला को फरवरी 2020 में भारत प्रत्यर्पित किया गया था।

कार्यवाही के दौरान, चावला के वकील ने तर्क दिया कि इस बात का कोई प्रथम दृष्टया सबूत नहीं है कि संजीव चावला के रूप में अदालत के सामने पेश होने वाला व्यक्ति चार्जशीट में नामित व्यक्ति ही था। इस तर्क को खारिज करते हुए अदालत ने कहा, ‘आरोपी नंबर 4 संजीव चावला लगभग 20 वर्षों से फरार था और उसे लंबी प्रत्यर्पण कार्यवाही के बाद ही पकड़ा जा सका। यह कहना कि वह वही व्यक्ति नहीं है, क्योंकि पहचान परेड नहीं कराई गई, बिल्कुल बेतुका है।’

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘मुख्य साजिशकर्ता चावला आरोपी नंबर 6 हैंसी क्रोनिए के साथ टूर्नामेंट के अधिकांश समय उनकी छाया बनकर घूमता रहा और उसी होटल में रहा।’ कालरा के बारे में अदालत ने कहा कि उसने कथित तौर पर 14 मार्च, 2000 को राष्ट्रीय राजधानी के एक होटल में क्रोनिए से मुलाकात की और दक्षिण अफ्रीकी कप्तान के साथ लगातार टेलीफोन पर बातचीत करता रहा।’

अदालत ने 11 जुलाई को पारित आदेश में कहा कि चारों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) के साथ धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और धारा 120 बी के तहत अपराध के तहत आरोप तय करने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री मौजूद है।

बता दें कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को अप्रैल 2000 में मैच फिक्सिंग का पता चला था।