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भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु लगातार तीसरे ओलंपिक खेलों में मेडल जीतकर इतिहास रचने के लिए किसी भी तरह की कसर नहीं छोड़ रही हैं और उन्होंने अपना यह लक्ष्य हासिल करने के लिए पिछले कुछ महीनो में अलग-अलग तरीकों से कड़ी प्रैक्टिस की है। सिंधु ने रियो ओलंपिक में सिल्वर और टोक्यो ओलंपिक में ब्रोन्ज मेडल जीता था। अगर वह पेरिस ओलंपिक में पोडियम पर पहुंचने में सफल रहती है तो फिर वह मेडल की हैट्रिक पूरी करने वाली भारत की पहली खिलाड़ी बन जाएंगी। सिंधु पिछले कुछ समय से अच्छी फॉर्म में नहीं चल रही है लेकिन उन्होंने कहा कि पिछले आठ महीने प्रकाश पादुकोण के साथ बिताने से उनका आत्मविश्वास बढ़़ा है और वह लगातार तीसरा मेडल जीतने के लिए तैयार है।
सिंधु ने पोर्टे डे ला चैपल एरिना में प्रैक्टिस सेशन के बाद कहा, ‘निश्चित रूप से मेडल जीतना मेरा लक्ष्य है। यह पहला हो या दूसरा या फिर तीसरा यह मायने नहीं रखता। मैंने दो मेडल जीते हैं और मैं तीसरे मेडल के बारे में सोच कर खुद पर दबाव नहीं बनना चाहती हूं।’ उन्होंने कहा, ‘जब भी मैं ओलंपिक में भाग लेती हूं तो वह मेरे लिए नया ओलंपिक होता है। इसलिए मैं जब भी ओलंपिक में खेलने के लिए उतरती हूं तो मेरा लक्ष्य मेडल जीतना होता है। उम्मीद है कि मैं जल्द ही हैट्रिक पूरी करूंगी।’
प्रैक्टिस में बहुत ऊंचाई पर नहीं जा सकती थी…
पेरिस आने से पहले सिंधु ने जर्मनी के सारब्रुकेन में स्पोर्टकैंपस सार में प्रैक्टिस की जहां की समुद्र तल से ऊंचाई, मौसम और परिस्थितियां फ्रांस की राजधानी के समान हैं। परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाने के लिए वहां उन्होंने अपने कमरे में एक हाइपोक्सिक चैंबर (कम ऑक्सीजन) बनाया और कुछ दिनों तक वहीं सोईं। हाइपोक्सिक चैंबर खिलाड़ी के शरीर को अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर खेलने के लिए तैयार करने में मदद करते हैं। सिंधु ने कहा, ‘मैं अभ्यास के लिए अधिक ऊंचाई वाले स्थान पर नहीं जा सकती थी। मेरे पास बहुत अधिक समय नहीं था और इसलिए मैंने सोचा कि कहीं और जाने से बेहतर होगा कि यहीं उस तरह की परिस्थितियां तैयार की जाएं।’
प्रकाश पादुकोण से क्या नया सीखा
इस स्टार भारतीय खिलाड़ी ने कहा कि उन्होंने अपने स्ट्रोक्स में सुधार किया है और लंबी रैलियों में वह पहले से बेहतर प्रदर्शन कर रही है। सिंधु से पूछा गया कि पादुकोण के साथ प्रैक्टिस करने से उन्हें क्या अंतर महसूस हुआ, उन्होंने कहा, ‘स्ट्रोक में बहुत अधिक आत्मविश्वास होना। महिला सिंगल्स में अब बहुत लंबी रैलियां और देर तक के मैच होते हैं और मैंने खुद को उनके लिए तैयार किया है।’ उन्होंने कहा, ‘हर प्रतिद्वंदी के खिलाफ आपको अलग शैली अपनानी पड़ती है और सही समय पर सही स्ट्रोक लगाना आवश्यक होता है। प्रकाश सर ने इस बात पर जोर दिया और हमने इस पर काम किया। बहुत सुधार हुआ है। यह आपको कोर्ट पर नजर आएगा।’
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