चीन पर भारत को तवज्जो, मुइज्जू का डैमेज कंट्रोल या बना रहे हैं बैलेंस? आखिर क्या है मालदीव के प्रेसीडेंट की मंशा

चीन पर भारत को तवज्जो, मुइज्जू का डैमेज कंट्रोल या बना रहे हैं बैलेंस? आखिर क्या है मालदीव के प्रेसीडेंट की मंशा

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Maldives President Muizzu on India: कभी भारत विरोधी लहर की सवारी कर सत्ता हासिल करने वाले मालदीव के राष्ट्रपति के सुर बदल गए हैं। अब मोहम्मद मुइज्जू बात-बात में भारत की तारीफ करते हैं और शुक्रिया अदा करते हैं। मुइज्जू ने शुक्रवार को मालदीव के 59वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित एक आधिकारिक समारोह में फिर एक बार ऐसा किया। उन्होंने कहा कि भारत मालदीव का करीबी देश बना रहेगा, इसमें कोई शक नहीं है। उन्होंने कहाकि उनके देश का लोन चुकाने में भारत सबसे अधिक सहायता करते हैं। हालांकि उन्होंने इसके साथ ही चीन का भी नाम लिया, लेकिन तवज्जो भारत को अधिक दी। मुइज्जू ने उनके देश की कमजोर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करने के लिए भारत और चीन का आभार जताया। साथ ही कहा कि देश के ऋण संकट को दूर करने में नयी दिल्ली और बीजिंग की भूमिका महत्वपूर्ण है।

बता दें कि मुइज्जू ने सरकार में आने के बाद भारत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इसके चलते मालदीव के साथ भारत के संबंधों में खटास भी आई थी। भारत ने कई अहम फैसले लिए थे, जिससे मालदीव के आर्थिक हालात बिगड़ने लगे थे। इतना ही नहीं, मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में भी बड़े पैमाने पर कमी आई थी। इसके बाद मुइज्जू सरकार के मंत्री और खुद प्रेसीडेंट मुइज्जू ने भी भारत की तारीफ शुरू कर दी। मुइज्जू पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के शपथग्रहण में भी शामिल हुए थे। मुइज्जू ने यह भी बताया कि मालदीव भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करने की प्रक्रिया में है।

समाचार पोर्टल ‘अधाधू डॉटकॉम’ ने मुइज्जू के हवाले से कहा कि मैं मालदीव के लोगों की ओर से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, हमारी आर्थिक संप्रभुता को कायम रखने और मालदीव के लोगों की खातिर इस प्रयास में उनके सहयोग के लिए चीन सरकार और भारत सरकार का आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने भारत द्वारा दी गई 400 करोड़ रुपये की सहायता की भी सराहना की।

गौरतलब है कि मुइज्जू पिछले साल भारत विरोधी अभियान के सहारे सत्ता में आए थे। इस अभियान के दौरान, भारत द्वारा दान किए गए हेलीकॉप्टर और डोर्नियर विमान का संचालन करने वाले लगभग 80 भारतीय सैन्य कर्मियों को स्वदेश (भारत) बुलाने की मांग की गई थी।

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