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सत्ता परिवर्तन के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जमकर उत्पात मचाया गया। कई लोगों की जान चली गई। मोहम्मद यूनुस के बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का प्रमुख बनने के बाद से पड़ोसी देश में कई बदलाव देखने को मिले। हालांकि, दुनियाभर में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा पर फजीहत झेलने के बाद बांग्लादेश सरकार ने जैसे-तैसे अपनी छवि सुधारने की कोशिश की, लेकिन असलियत सामने आ गई। वहां पर दुर्गा पूजा समारोह की शुरुआत उथल-पुथल भरी रही है, क्योंकि अंतरिम सरकार और विभिन्न मुस्लिम निकायों ने कई इलाकों में दुर्गा पूजा के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं, बल्कि आयोजन समितियों को कथित तौर पर नमाज के दौरान चुप रहने और प्रत्येक को 5 लाख रुपये जजिया टैक्स के रूप में देने के लिए कहा गया। कई जगह मूर्तियों के तोड़फोड़ और लूटपाट की भी घटनाएं रिपोर्ट की गईं।
पिछले महीने के आखिरी में आई डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, कई दुर्गा पूजा समितियों को धमकी भरे पत्र मिले हैं, जिसमें कहा गया है कि अगर वे त्योहार मनाना चाहते हैं तो उन्हें 5,00,000 रुपये देने होंगे। खुलना के डाकोप क्षेत्र में कई हिंदू मंदिरों ने भी धमकी भरे पत्र मिलने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। इस बीच ढाका ट्रिब्यून ने पिछले महीने बताया कि मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने पूजा समितियों को सलाह दी है कि वे अज़ान और नमाज़ के दौरान अपने संगीत वाद्ययंत्र और साउंड सिस्टम बंद रखें। यह बयान कथित तौर पर गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहाँगीर आलम चौधरी ने कानून और व्यवस्था की बैठक के बाद दिया था।
अगस्त की शुरुआत में शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ हिंसा में वृद्धि देखी गई है। हालांकि, नए प्रशासन ने जोर देकर कहा है कि हमले राजनीतिक प्रकृति के थे। रिपोर्टों के अनुसार, अधिकारियों ने आगामी दुर्गा पूजा समारोहों को प्रतिबंधित करने की खराब सुरक्षा व्यवस्था और धमकियों का हवाला दिया है। हालांकि प्रशासन के वरिष्ठ सदस्यों ने जोर देकर कहा कि भक्तों को बांग्लादेश में त्योहार मनाने का निश्चित रूप से मौका मिलेगा। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने हाल ही में ‘एएनआई’ से बातचीत के दौरान कहा, “यह काफी अजीब है। हो सकता है कि कुछ लोग दुर्गा पूजा को पसंद न करें। इस देश में सदियों से दुर्गा पूजा की जाती रही है और ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जब दुर्गा पूजा नहीं हुई हो। निश्चित रूप से, जो भक्त ऐसा करना चाहते हैं, उनके पास ऐसा करने का अवसर है। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।”
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