18वीं से 20वीं शताब्दी की रियासतों के पौने सात करोड़ अभिलेखों का हो रहा डिजीटाइजेशन

18वीं से 20वीं शताब्दी की रियासतों के पौने सात करोड़ अभिलेखों का हो रहा डिजीटाइजेशन

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आयुक्त मप्र पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय संचालनालय उर्मिला शुक्ला के अनुसार डिजीटाइजेशन का कार्य फरवरी से शुरू हो चुका है। सितम्बर माह तक इंदौर के होलकर राजवंश के लगभग 10 लाख अभिलेखों की स्कैनिंग हो गई है। उन्हें जल्दी ही पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।

मध्यभारत में 1798 से 1956 तक शासन करने वाली करीब 20 रियासतों के महत्वपूर्ण दस्तावेजों का डिजीटाइजेशन किया जा रहा है। डेढ़ सौ वर्ष से अधिक समय तक राज करने वाली इन रियासतों के कुल पौने सात करोड़ अभिलेख आनलाइन अपलोड किए जा रहे हैं। इनमें ऐतिहासिक रियासतों के शासन की रीति-नीति की जानकारी मिल सकेगी। साथ ही सैकड़ों वर्ष पहले की सामाजिक व राजनैतिक व्यवस्थाओं को भी पहली बार आमजन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

मध्यप्रदेश पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय संचालनालय ने इस वर्ष फरवरी से डिजीटाइजेशन का कार्य शुरू किया था, जिसमें सितम्बर माह तक होलकर राजवंश के लगभग 10 लाख अभिलेखों की स्कैनिंग हो चुकी है। जल्द ही उन्हें पोर्टल पर अपलोड करने का कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा।

अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू और फारसी भाषा में लिखे हैं अभिलेख

विभाग के उपसंचालक नीलेश लोखंडे बताते हैं कि मध्यप्रदेश के गठन के समय मध्यभारत में शासन करने वाली सभी प्रमुख रियासतों के ऐतिहासिक दस्तावेजों को इकट्ठा किया गया था। इनमें सिंधिया रियासत और भोपाल रियासत के साथ होल्कर राजवंश समेत प्रदेश की छोटी-बड़ी करीब 20 रियासतें शामिल हैं। इन रियासतों के महत्वपूर्ण अभिलेखों के साथ ब्रिटिश शासन के कुछ दस्तावेजों का भी डिजीटाइजेशन किया जा रहा है। ये अभिलेख अंग्रेजी, हिन्दी, मोढ़ी, उर्दू एवं फारसी भाषा में हैं। विभाग फिलहाल ऐसे दस्तावेजों को स्कैन कर रहा है जो अति जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। आनलाइन पोर्टल बनने के बाद उन्हें अपलोड करने का कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा।

देश-विदेश के शोधार्थी अभिलेखों की सहायता से करते हैं शोध

लोखंडे ने बताया कि ये अभिलेख देश विदेश के शोधकर्ताओं को समय-समय पर शोध कार्य के लिए उपलब्ध करवाए जाते हैं। हर वर्ष करीब 50 शोधार्थी अपने शोध कार्य के लिए इन अभिलेखों का उपयोग करते हैं। साथ ही शासकीय एवं अशासकीय मांग पत्रों से संबंधित जानकारी भी प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त जन सामान्य को अभिलेखीय विरासत सेे अवगत कराने के उद्देश्य से अलग-अलग स्थानों पर प्रदर्शनियां आयोजित की जाती हैं। डिजीटाइजेशन होने से उन्हें आनलाइन सारी जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।

इनका कहना है

अभिलेखीय विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण दस्तावेजों का इ-निविदा के माध्यम से डिजीटाइजेशन कराया जा रहा है। रियासतों के अभिलेखों से शोधार्थी और इतिहास में रूचि लेने वाले आमजन सैकड़ों वर्ष पुरानी सामाजिक और राजनैतिक व्यवस्थाओं को जान सकेंगे।

उर्मिला शुक्ला, आयुक्त, मप्र पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय संचालनालय

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