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पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्र की फर्जी आईडी बनाकर राजधानी में 45 हजार रुपये की ठगी को अंजाम देने वाले दो शातिर जालसाल राजस्थान से पकड़े गए हैं। ठगी के महज पांच दिनों के भीतर भोपाल साइबर क्राइम सेल ने अलवर के नगला बंजीरका से दोनों ठगों को गिरफ्तार किया है।
आरोपित भोपाल पुलिस आयुक्त के अलावा देशभर के कई आईपीएस अफसरों के नाम पर फर्जी फेसबुक आईडी बनाते थे और सस्ते दामों पर पुराना फर्नीचर बेचने का ऑफर देकर लोगों से ठगी करते थे। इस तरह से वे अब तक 100 से अधिक लोगों को निशाना बनाकर करीब 30 लाख रुपये की ठगी कर चुके थे।
पांच साल से कर रहे थे ठगी
साइबर क्राइम सेल में एडिशनल एसपी शैलेंद्र चौहान ने बताया कि ठगी का मास्टरमाइंड 24 वर्षीय शकील उर्फ आश मुहम्मद अपने दोस्त सुनील कुमार के साथ पिछले करीब पांच वर्षों से साइबर ठगी कर रहा था। वे पुलिस अधिकारियों की फर्जी फेसबुक आईडी पर पुराना सामान बेचने की पोस्ट डालते थे।
सस्ते दामों पर अच्छा सामान खरीदने के लालच में लोग भी उनसे पहले मैसेंजर पर संपर्क करते और फिर फोन पर ही डील कर एडवांस राशि के रूप में उन्हें रुपये भेज देते थे। आरोपित बाद में अपना मोबाइल नंबर बंद कर देते थे या फिर अभद्रता करते थे।
हर दिन 60-70 फोन करने का होता था टारगेट
आरोपितों की धरपकड़ के लिए अलवर गए एसआई देवेंद्र साहू के अनुसार, आरोपित एक साथ कई फर्जी आईडी मोबाइल पर चलाते थे। सस्ते सामान खरीदने उनके पास काफी मैसेज आते थे। आरोपित भी हर दिन 60 से 70 लोगों को फोन करने का टारगेट बनाते थे। इनमें से दो-तीन लोग ठगी के जाल में फंसकर रुपये देते थे। आरोपितों ने बताया कि वे कई सारे नंबरों का उपयोग करते थे। ये सिमकार्ड वे टेलीग्राम पर सस्ते दामों पर ऑर्डर करते थे।
इसी गांव में राजस्थान पुलिस चला रही है “एंटी वायरस” अभियान
शैलेंद्र चौहान ने बताया कि अलवर के नगला बंजीरका क्षेत्र में कई गांव हैं, जहां व्यापक तौर पर लोग साइबर अपराध से जुड़े हैं। इन लोगों पर कार्रवाई के लिए राजस्थान पुलिस “एंटी वायरस” अभियान चला रही है। इसके अंतर्गत अन्य राज्यों की पुलिस भी वहां पहुंचकर आरोपितों को गिरफ्तार कर रही है। जिस गांव से आरोपित पकड़े गए थे, वहां कर्नाटक और हरियाणा पुलिस ने भी दबिश दी थी।
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