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लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले ही भाजपा और कांग्रेस ने सतना में अपने-अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर 2024 के सियासी दंगल को रोचक बना दिया है। अब सभी की निगाहें बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार पर आकर टिक गई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि बसपा आखिर सतना संसदीय सीट में किसे अपना प्रत्याशी बनाती है। ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा-कांग्रेस द्वारा ओबीसी चेहरे पर दांव लगाए जाने के बाद सोशल इंजीनियरिंग में माहिर बसपा किसी सामान्य वर्ग से आने वाले जनप्रतिनिधि पर दांव लगा सकती है।
बसपा से टिकट की दौड़ में शामिल प्रमुख दावेदारों की बात करें तो मैहर के पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी, 2019 में बसपा से लोकसभा चुनाव लड़ चुके अच्छेलाल कुशवाहा, सतना विधानसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार रहे रत्नाकर चतुर्वेदी शिवा एवं नागौद विधानसभा सीट से बसपा से अपनी किस्मत आजमा चुके पूर्व विधायक यादवेन्द्र सिंह के नामों की चर्चा राजनीतिक हल्कों में काफी तेजी से चल रही है। अब देखना यह है कि बसपा सतना सीट से अपना उम्मीदवार किसे बनाती है? दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस द्वारा अपने-अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा किए जाने के बाद अब सबकी निगाहें इसी पर आकर टिक गई हैं कि हाथी की सवारी सतना में कौन करता है?
तीन दशक में 9 चुनाव, सिर्फ एक बार जीती बसपा
1989 में सतना संसदीय सीट से पहली बार अपनी किस्मत आजमाने वाली बहुजन समाज पार्टी 2019 तक पिछले तीन दशक में हुए 9 चुनावों में सिर्फ एक बार जीत सकी है। बसपा ने 1996 के लोकसभा चुनाव में सतना संसदीय सीट जीती थी, तब पार्टी उम्मीदवार सुखलाल कुशवाहा ने प्रदेश के दो-दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को लोकसभा चुनाव में हराकर सनसनी फैला दी थी। चुनावी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी सुखलाल कुशवाहा ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार सखलेचा (पूर्व मुख्यमंत्री) और तब कांग्रेस के प्रत्याशी कुंवर अर्जुन सिंह (पूर्व मुख्यमंत्री) को हराया था। सुखलाल को तब 1 लाख 82 हजार 4 सौ 97, वीरेंद्र कुमार सखलेचा को 1 लाख 60 हजार 2 सौ 59 और अर्जुन सिंह को 1 लाख 25 हजार 6 सौ 53 वोट मिले थे।
दस फीसदी बढ़े हैं बसपा के वोट
यदि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बसपा को मिले वोटों की बात करें तो जिले में बसपा के वोटों में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी लगभग 10 फीसदी से ज्यादा मतों की हुई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को सतना जिले की सातों विधानसभा सीटों में मिलाकर 9.87 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2023 के विधानसभा चुनाव में सातों विधानसभा सीटों में 19.50 फीसदी मतों की बढ़ोत्तरी हुई है।
पांच बार बसपा ने सुखलाल पर भरोसा जताया
सतना संसदीय सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार बनाए गए सिद्धार्थ कुशवाहा के पिता सुखलाल कुशवाहा यहां से एक बार सांसद रह चुके हैं। यह अलग बात है कि वे 1996 में बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए थे। सुखलाल कुशवाहा ने सतना लोकसभा सीट से पांच बार चुनाव लड़ा है। हालांकि, उन्हें सिर्फ एक बार जीत मिली है और 2009 के लोकसभा चुनाव में वे बहुत ही कम मतों से (4418 मत) से भाजपा उम्मीदवार गणेश सिंह से चुनाव हार गए थे। उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रहे गणेश सिंह को 1 लाख 94 हजार 624 वोट मिले थे, जबकि बसपा उम्मीदवार रहे सुखलाल कुशवाहा को 1 लाख 90 हजार 206 मत प्राप्त हुए थे।
बसपा से सामने आई नारायण की दावेदारी
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद पूरी तरह से खामोश नजर आ रहे भाजपा के पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी की एकाएक सक्रियता को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। मैहर विधानसभा से तीन अलग-अलग पार्टियों से चार बार के विधायक रहे नारायण त्रिपाठी यदि बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर इस चुनावी समर में उतरते हैं तो सतना लोकसभा का चुनाव काफी दिलचस्प होगा। यदि पूर्व विधायक के लोकसभा के चुनावी इतिहास की बात करें तो नारायण त्रिपाठी अब तक दो बार लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। सतना संसदीय सीट से त्रिपाठी पहली बार समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में 1999 में चुनावी समर में उतरे थे, तब उन्हें 13 उम्मीदवारों के बीच चौथा स्थान मिला था और उन्हें 9 हजार 370 मत प्राप्त हुए थे। इसी तरह 2004 के लोकसभा चुनाव में नारायण त्रिपाठी ने एक बार फिर से समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा। इस बार भी उन्हें 13 उम्मीदवारों के बीच चौथा स्थान मिला। हालांकि इस बार उन्हें 50 हजार 841 मत प्राप्त हुए।
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