MP में हाईटेंशन लाइन के टावरों की ड्रोन से होगी पेट्रोलिंग, फाल्ट ढूढ़ने के लिए AI तकनीक से विश्लेषि

MP में हाईटेंशन लाइन के टावरों की ड्रोन से होगी पेट्रोलिंग, फाल्ट ढूढ़ने के लिए AI तकनीक से विश्लेषि

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MP में हाईटेंशन लाइन के टावरों की ड्रोन से होगी पेट्रोलिंग, फाल्ट ढूढ़ने के लिए AI तकनीक से विश्लेषि
220 केवी अति उच्चदाब लाइनों के टावरों की निगरानी ड्रोन से करने का प्रयोग सफल होने के बाद अब प्रदेश में 400 और 132 केवी की अति उच्चदाब लाइनों के टावरों की ड्रोन से पेट्रोलिंग की जायेगी। इसके लिए मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने 23 हजार टावरों के लिए ड्रोन के आर्डर किए हैं।

फाल्ट ढूंढने में होगी आसानी

भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर चंबल संभाग के साथ अन्य जिलों के अति उच्चदाब लाइन के टावर ड्रोन की निगरानी में रहेंगे। ड्रोन से देखरेख के साथ फाल्ट व टूट-फूट की जानकारी भी कंपनी को हो सकेगी। इससे बड़ा फायदा समय की बचत का होगा और जल्दी फाल्ट या लाइन सुधारी जा सकेगी। कंट्रोल रूम से पूरे सिस्टम पर नजर रखी जाएगी। उपयोगिता के अनुसार ड्रोन का उपयोग किया जाएगा।

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बीहड़ क्षेत्र के टावरों पर विशेष नजर

ग्वालियर चंबल संभाग में 4 हजार टावरों की निगरानी होगी। इनमें बीहड़ क्षेत्र के टावरों पर विशेष नजर रहेगी। क्योंकि यहां सामान्य पेट्रोलिंग में दिक्कत होती है। ड्रोन से पेट्रोलिंग करने में कंपनी को फाल्ट ढूंढने में आसानी होगी। फिलहाल 23 हजार टावरों को ड्रोन के जरिए कवर किया जा रहा है।

डाटा किया जाएगा एकत्रित

अति उच्चदाब बिजली लाइनों के 23,000 टावरों की पेट्रोलिंग ड्रोन से डाटा एकत्रित किया जाएगा। जो डाटा मिलेगा उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के जरिए बारीकी से जांच कर टावर के रखरखाव और मरम्मत की कोशिश की जाएगी।

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ड्रोन पेट्रोलिंग से दुर्गम भौगोलिक स्थिति में स्थापित टावरों की टाप मानीटरिंग संभव हो सकेगी। साथ ही किसी लाइन के फाल्ट होने पर ड्रोन से प्राप्त टावरों, लाइन की फोटो और वीडियोग्राफी का तुरंत अन्वेषण कर फाल्ट दुरुस्त किया जा सकेगा। इससे ब्रेकडाउन समय में कमी आ आएगी।

फैक्ट फाइल

कुल टावर 23000
भोपाल 6000
इंदौर 8000
जबलपुर 5000
ग्वालियर 4000

220 केवी अति उच्चदाब लाइनों के टावरों की निगरानी के पायलेट प्रोजेक्ट को सफलता के बाद अब प्रदेश में 400 और 132 केवी की अति उच्चदाब लाइनों के टावरों की ड्रोन से पेट्रोलिंग की जायेगी। इसके लिए आर्डर कर दिए गए हैं।

शशिकांत ओझा, जनसंपर्क अधिकारी, मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी

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