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बजट सत्र के पहले दिन संसद में NEET पेपर लीक का मुद्दा गूंजने लगा। सपा चीफ अखिलेश यादव ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से इस्तीफे की मांग की तो वहीं नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के सवाल पर शिक्षा मंत्री भड़क गए। दरअसल सबसे पहले कांग्रेस सांसद बी मणिकम टैगोर ने प्रश्नकाल में पेपर लीक को लेकर सवाल किया। इसके बाद ही शोर शराबा शुरू हो गया। उनके सवाल का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा, सदन में कहा गया कि सात साल में 70 बार पेपर लीक हुए। मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि पिछले सात साल में पेपर लीक का कोई सबूत नहीं है। जहां तक बात है इस मामले की तो यह सुप्रीम कोर्ट में है। जो भी सामने आएगा, हम सदन के सामने रखेंगे।
उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट के सामने सारे सवाल रखेंगे और सीजेआई खुद सुनवाई करने वाली बेंच के अध्यक्ष हैं। एनटीए ने सालभर में 240 से ज्यादा परीक्षाएं करवाई हैं। 5 करोड़ से ज्यादा छात्रों ने अप्लाई किया और परीक्षा में 4.5 करोड़ से ज्यादा लोग बैठे। इसके बाद कांग्रेस नेता ने कहा कि क्या नीट परीक्षा का पेपर लीक की जम्मेदारी क्या शिक्षा मंत्री लेंगे और क्या वह इस्तीफा देंगे?
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, मैं यहां अपने नेता प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से यहां पर हूं। बात जब जिम्मेदारी की आएगी तो हमारी सरकार जरूर लेगी। गड़बड़ी की कुछ जानकारी मिली हैं। 4700 सेंटर में से केवल एक जगह पर गड़बड़ी का पता चला है। सीबीआई जांच कर रही है। हम लोग कुछ भी छिपा नहीं रहे हैं। सब कुछ लोगों के सामने है। बिहार पुलिस और सीबीआई अपना काम कर रही है।
राहुल गांधी ने पूछा क्या सवाल
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, यह पूरे देश में बहुत आम बात हो गई है कि हमारे परीक्षा सिस्टम में बहुत बड़ी खामी है। यह मामला केवल नीट का नहीं है बल्कि सभी परीक्षाओं में दिक्कत है। मंत्री जी खुद को छोड़कर बाकी सबको दोषी बता रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा, मामला यह है कि इस देश में लाखों छात्र हैं जिन्हें चिंता है कि आखिर हो क्या रहा है। उन्हें पता चल गया है कि भारत में परीक्षा का सिस्टम घटिया है। लाखों लोगों का मानना है कि अगर आप अमीर हैं तो आप परीक्षा सिस्टम को खरीद सकते हैं। पहला प्रश्न है कि जहां तक सिस्टम का मामला है आप इसे रोकने के लिए क्या कर रहे हैं?
इसके बाद धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, मेरे जो संस्कार हैं जो शिक्षा है। मेरे राज्य की जनता की स्वीकृति मिली है। मुझे किसी से भी बौद्धिक सर्टिफिकेट नहीं चाहिए। देश की जनता ने प्रधानमंत्री जी को मौका दिया है और उनकी तरफ से मैं यहां जवाब दे रहा हूं। हंगामे के बीच उन्होंने कहा कि चिल्लाने से कुछ नहीं होने वाला है। यहां कहा गया कि देश का एग्जाम सिस्टम घटिया है। इससे ज्यादा शर्मनाक बयान देश के नेता प्रतिपक्ष का कुछ नहीं हो सकता। जिन्होंने रिमोट सरकार चलाई है। 2010 में शिक्षा सुधार के लिए तीन बिल आए थे। उसमें से एक बिल था प्रोहिबिशन ऑफ अनफेयर प्रैक्टिस बिल। हमारी सरकार की हिम्मत है कि हमने बिल लाया और कानून बनाया। कांग्रेस पर क्या दबाव था कि उन्होंने इस बिल को पास नहीं किया था। निजी मेडिकल कॉलेज और घूसखोरी के दबाव में उन्होंने बिल को लागू नहीं किया।
सदन में हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन में सार्थक चर्चा होनी चाहिए, लेकिन सारी परीक्षाओं पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। उनका कहना था, ‘राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें रहीं हैं, जहां परीक्षाओं पर प्रश्न उठे…हम इसलिए यहां बैठे हैं कि विद्यार्थियों के भविष्य पर सवाल नहीं उठें। इसलिए ऐसी व्यवस्था विकसित करें कि परीक्षा पर सवाल नहीं उठे…सब सुझाव दें। सरकार भी उत्तम सुझाव को मानेगी।’’ बिरला ने कहा, ‘हम सारी परीक्षाओं पर सवाल उठाएंगे तो उत्तीर्ण होने वाले बच्चों के भविष्य पर, भारत की परीक्षा व्यवस्था पर गंभीर असर होगा जो सदन के लिए चिंता का विषय है।’
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